राहुल ने ‘राम कहानी’ से साधा भाजपा पर निशाना
चुरू/अलवर (राजस्थान) (एजेंसी)। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को अपनी ‘राम कहानी’ के जरिए मतदाताओं के सामने भावुकता पेश करने के साथ ही साथ भाजपा पर निशाना भी साधा। दादी-पिता की हत्या का उल्लेख करते हुए गुस्सा उपजने का कारण बताया और यह भी कहा कि आखिर वे क्यों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी राजनीति के खिलाफ हैं। राहुल के हमले से बिफरी भाजपा ने कहा कि देश की मौजूदा समस्याओं का कोई समाधान उनके पास नहीं है।
राजस्थान के चुरू में एक चुनावी रैली में लोगों से ‘दिल की बात’ साझा करते हुए राहुल ने कहा कि गुस्सा लोगों के भीतर छुपा रहता है। इसे स्पष्ट करने के लिए उन्होंने अपनी दादी की हत्या के समय की घटनाओं के साथ हाल ही में पंजाब के एक विधायक के साथ हुई बातचीत को सुनाया। गांधी ने कहा कि हाल ही में पंजाब के एक विधायक मेरे पास कमरे में बैठे थे। राहुल ने कहा, ‘विधायक ने मुझे कहा कि यदि मैं 20 वर्ष पहले उनसे मिला होता तो वे मेरी हत्या कर देते। लेकिन अब वे मुझे गले लगाना चाहते हैं। मैंने जो निष्कर्ष निकाला वह यह है कि कोई भी जन्म से ही क्रोधी नहीं होता। गुस्सा राजनीतिक दल भरते हैं। गुस्से को ठंडा होने में वर्षों लग जाते हैं लेकिन मिनटों में इसको भड़काया जा सकता है। यही वह वजह है कि मैं भाजपा और उसकी राजनीति के खिलाफ हूं।’’ गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राजनीतिक लाभ के लिए देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का आरोप लगाया और उत्तर प्रदेश के हिंसा प्रभावित मुजफ्फरनगर के लोगों की तुलना खुद से की। उन्होंने कहाकि वे दुख और अवसाद को समझ सकते हैं क्योंकि उनकी दादी और पिता की भी हत्या हुई थी।
गांधी (43) ने मुजफ्फरनगर हिंसा की ओर इशारा किया। मुजफ्फरनगर हिंसा में 40 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। रैली में उमड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, ‘मेरी दादी की हत्या हुई थी। मेरे पिता की भी हत्या हुई। अब मैं भी किसी दिन मारा जा सकता हूं। लेकिन मैं हत्या किए जाने से आतंकित नहीं हूं। मैं इसकी परवाह भी नहीं करता। मैं मुजफ्फरनगर के लोगों की पीड़ा में अपनी सूरत देखता हूं।’ गांधी ने अपने भाषण को ‘दिल की बात’ बात के रूप में उल्लेख किया और कहा कि वे अपनी कहानी लोगों से साझा करना चाहते हैं।राहुल ने याद दिलाया, ‘मैं अपने स्कूल में अपनी कक्षा में था तभी किसी ने वहां आकर मेरे शिक्षक के कान में कुछ कहा। उसके बाद मेरे शिक्षक ने मुझसे तुरंत घर जाने के लिए कहा। मैंने प्रिंसिपल के कार्यालय से घर फोन किया। मुझे अपनी नौकरानी के रोने की आवाज सुनाई दी। मुझे बताया गया कि मेरी दादी के साथ कुछ अप्रिय घटित हुआ है।’ गांधी ने कहा कि वे और उनकी बहन प्रियंका को अंगरक्षकों ने एक कार में छिपा कर घर लाया।उन्होंने आगे कहा, ‘जब मैं अपने घर पहुंचा तो मैंने अपनी दादी का लहू सड़कों पर बिखरा पाया और दोनों सुरक्षाकर्मियों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह का खून एक कमरे में पसरा था। वे दोनों मेरे दोस्त थे। इस घटना ने मेरे भीतर रोष भर दिया। मुझे अपने गुस्से पर काबू पाने में 10 से 15 वर्ष लगे।’ गांधी ने कहा कि हाल ही में पंजाब के एक विधायक मेरे पास कमरे में बैठे थे।