नई दिल्ली: मुंबई बम धमाकों में दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी दी जा सकती है। हालांकि याकूब की दया याचिका पर 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी और याचिका के खारिज होने पर ही उसे फांसी दी जाएगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल, 2015 को मेमन की रिव्यू याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने टाडा कोर्ट की अनुमति लेकर उसे फांसी देने की प्रक्रिया शुुरू कर दी थी। याकूब का जन्मदिन 30 जुलाई 1962 को हुआ था और उसका डेथ वारंट भी 30 जुलाई का निकाला गया है। आपको बता दें कि मेमन ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक और रिव्यू याचिका दायर की थी जिस पर 21 जुलाई को सुनवाई होनी है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उसकी दया याचिका पिछले साल ही खारिज कर दी थी। वहीं गृह मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार याकूब को फांसी देने का आदेश गत सोमवार को जारी कर दिया गया और इसे नागुपर जेल के सुपरिटेंडेंट को भेज दिया गया है। फांसी देने की पूरी प्रकिया जेल में ही होगी। सूत्रों का कहना है कि आधिकारिक आदेश मिलने के बाद जेल प्रशासन याकूब को इसकी जानकारी देगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1993 बम धमाकों के मामले में याकूब मेमन को फांसी और 11 अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। याकूब पेशे से सी.ए था और वह भगौड़े आतंकी इब्राहिम मुश्ताक टाइगर मेमन का भाई है।टाइगर मेमन ने ही याकूब को बम धमाकों में शामिल किया और बम प्लॉट कराए। 12 मार्च 1993 को इन धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हो गए थे। इस मामले में दाऊद इब्राहिम भी आरोपी है।