अन्तर्राष्ट्रीय

अक्टूबर में आयोजित होगा 28वा मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास

नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : जब भी हिंद महासागर क्षेत्र में चीन को टक्कर देने की बात आती है तो दो शब्द सर्वाधिक प्रमुखता से सामने आते हैं। पहला है क्वाड और दूसरा है मालाबार संयुक्त नौसैन्य अभ्यास। क्वाड की बैठक हाल में हुई है और अब मालाबार अभ्यास बंगाल की खाड़ी में आयोजित करने की तैयारियां जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में क्वाड राष्ट्र के प्रमुख नेताओं से मिले और उन्हें 28वें मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास में भाग लेने का आमंत्रण दिया। इस साल अक्टूबर में होने वाले इस समुद्री मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय नौसेना के साथ-साथ जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नेवी भी भाग लेगी। उनके खतरनाक जंगी जहाज बंगाल की खाड़ी में आएंगे। इस युद्धाभ्यास में चारों देश आपसी कॉर्डिनेशन, अत्याधुनिक हथियारों से लैस युद्धपोतों, पनडुब्बियों का प्रदर्शन करेंगे। ये देश मैरीटाइम कोऑपरेशन और पावर प्रोजेक्शन पर काम करेंगे ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन और उसके साथी देश नजर उठाने की हिम्मत भी न करें। इंडियन नेवी इस युद्धाभ्यास का नेतृत्व कर रही है। इसमें नौसेना का एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य, तलवार क्लास फ्रिगेट, कलवारी क्लास पनडुब्बियां शामिल होंगी। इसके अलावा नौसेना के मिग-29के फाइटर जेट और पी-8आई पोसाइडन जासूसी जहाज भी शामिल होगा।

मालाबार संयुक्त अभ्यास की शुरुआत कैसे हुई थी :

मालाबार नौसैनिक अभ्यास भारत-अमेरिका-जापान की नौसेनाओं के बीच वार्षिक रूप से आयोजित किया जाने वाला एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है। मालाबार नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 1992 में एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में हुई थी।वर्ष 2015 में इस अभ्यास में जापान के शामिल होने के बाद से यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास बन गया।

इन अभ्यासों से क्वाड देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग और समन्वय में वृद्धि होगी, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता में योगदान होगा. इस युद्धाभ्यास में वायु युद्ध, समुद्री अवरोध, पनडुब्बी रोधी युद्ध, सामुद्रिक संचालन और वायु रक्षा है। चीन की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियों के मद्देनज़र, यह अभ्यास क्वाड देशों की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है। क्वाड, क्वाड्रीलैटरल सिक्टोरिटी डायलॉग है।इसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसको ‘स्वतंत्र, खुले और समृद्ध’ भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने और समर्थन करने के लिये साझा उद्देश्य के साथ चार लोकतंत्रों के रूप में पहचाना जाता है।

Related Articles

Back to top button