स्पोर्ट्स डेस्क : आईओसी द्वारा मंगलवार को ओलंपिक के लिए चुनी गयी शरणार्थी टीम में ऐसे 29 प्लेयर्स खेलेंगे जिन्होंने अपने मूल देश को छोड़ा है और इन्हें प्रैक्टिस के लिए नए देश में स्कालरशिप मिल रही है.
इस टीम के लिए 55 प्लेयर्स में होड़ थी लेकिन ये 29 प्लेयर मूल रूप से अफगानिस्तान, कैमरून, कांगो, कांगो गणराज्य, इरिट्रिया, ईरान, इराक, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया और वेनेजुएला से हैं जो तैराकी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, नौकायन साइकिलिंग, जूडो, कराटे, निशानेबाजी, ताइक्वांडो, भारोत्तोलन और कुश्ती में हिस्सा लेंगे.
आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक के अनुसार, आप हमारे ओलंपिक समुदाय का अभिन्न हिस्सा हैं और हम खुले दिल से आपका स्वागत करते हैं. इस टीम का प्रबंधन टोक्यो में आईओसी और संयुक्त राष्ट्र की जिनेवा स्थित शरणार्थी एजेंसी (यूएनएससीआर) के अधिकारियों द्वारा होगा. इससे पहले रियो में 2016 में हुए पिछले ओलंपिक में शरणार्थी टीम में 19 प्लेयर्स को अवसर दिया गया था.
ईरान की ओलंपिक कांस्य विजेता अब अलीजादेह रिफ्यूजी टीम में
इस टीम में ईरान के कारज शहर के दस्तकार की बिटिया कीमिया अलीजादेह भी है जिन्होंने कई बंदिशों के बाद भी अपनी अलग पहचान बनाई.
ताइक्वांडो प्लेयर रियो ओलंपिक 2016 में 18 साल की अलीजादेह ने 57 किग्रा भार वर्ग में कांस्य जीता. वो ओलंपिक में पदक विजेता ईरान की पहली महिला बनीं.
उन्होंने चार साल बाद टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक में गोल्ड जीतने का सपना भी देखा लेकिन जनवरी 2020 में खुद को ईरान की लाखों उत्पीड़ित महिलाओं में से एक बताते हुए देश छोड़ दिया. अब वो अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) के झंडे तले खेलेगी.
अलीजादेह ने 2014 यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक, 2015 में सीनियर विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य और 2017 में रजत पदक झटका जबकि 2018 में एशियन चैम्पियनशिप में भी कांस्य पदक झटका.