3 तलाक से मिलेगी आजादी? लोकसभा में आज होगी सरकार की अग्निपरीक्षा
लोकसभा में आज एक बार में तीन तलाक पर रोक लगाने वाले मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018 विधेयक पर चर्चा होगी. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पेश किया जा चुका है लेकिन इसपर चर्चा के लिए 27 दिसंबर की तारीख तय की गई थी. केंद्र की मोदी सरकार के लिए यह बिल नाक की लड़ाई बन चुका है क्योंकि सरकार इसके लिए अध्यादेश लागू कर चुके है और पहले एक बार यह बिल लोकसभा से पारित भी हो चुका है लेकिन राज्यसभा ने इस बिल को बगैर पारित किए वापस लौटा दिया था. कांग्रेस को मुख्य आपत्ति सजा के प्रावधान पर है साथ ही पीड़ित महिलाओं के लिए मुआवजे की व्यवस्था की भी कांग्रेस मांग करती रही है.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बीते हफ्ते इस विधेयक को लोकसभा से चर्चा कर पारित कराना चाहते थे लेकिन कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की आपत्ति के बाद ऐसा मुमकिन नहीं हुआ. बाद में स्पीकर सुमित्रा महाजन और कांग्रेस की सहमति के बाद इस बिल पर चर्चा के लिए गुरुवार का दिन तय किया गया था. लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चर्चा पर सहमति जताते हुए कहा था कि उनकी पार्टी आज होने वाली चर्चा में भाग लेगी. चर्चा के मद्देनजर बीजेपी ने अपने सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया है जिसके तहत सदन में सांसदों की मौजूदगी अनिवार्य है.
संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी. इस पर खड़गे ने कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए, हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं’. खड़गे के इस बयान पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘खड़गे जी ने सार्वजनिक वादा किया है और हमें 27 दिसंबर को चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है, मैं अनुरोध करता हूं कि चर्चा खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल में हो.’
तीन तलाक को दंडात्मक अपराध घोषित करने वाला यह विधेयक गत 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था. यह तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है. इस प्रस्तावित कानून के तहत एक बार में तीन तलाक देना गैरकानूनी और अमान्य होगा और इसके लिए तीन साल तक की सजा हो सकती है. कुछ दलों के विरोध के मद्देनजर सरकार ने जमानत के प्रावधान सहित कुछ संशोधनों को मंजूरी प्रदान की थी ताकि राजनीतिक दलों में विधेयक को लेकर स्वीकार्यकता बढ़ सके. विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गैरकानूनी करार दिए जाने के बावजूद तीन तलाक की प्रथा नहीं रुक रही है.
बैठक कर रणनीति बनाएगी कांग्रेस
तीन तलाक के इस विधेयक पर चर्चा से पहले गुरुवार सुबह कांग्रेस सांसदों की बैठक होगी जिसमें इस बारे में पार्टी के रुख पर फैसला होने की संभावना है. पार्टी पहले ही साफ कर चुकी है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018 पर होने वाली चर्चा में वह भाग लेगी. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अभी यह तय है कि हम इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेंगे, पार्टी का रुख गुरुवार सुबह होने वाली बैठक में तय होगा.
विरोध की तैयारी में AIMPL
विधेयक पर चर्चा से पहले ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी पेशबंदी शुरू कर दी है. उसके नुमाइंदों ने विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात करके संसद में इस विधेयक का समर्थन ना करने की अपील की है. बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बुधवार को टेलीफोन पर न्यूज एजेंसी भाषा को बताया कि तीन तलाक रोधी विधेयक को मुस्लिम समुदाय से विचार-विमर्श किये बगैर तैयार किया गया है, लिहाजा इसमें कई गम्भीर खामियां हैं. इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि पूरे मुस्लिम समुदाय पर बुरा असर डालने वाले इस विधेयक को पारित न होने देने के लिये बोर्ड अपनी कोशिशें जारी रखे हुए है. इस सिलसिले में विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधियों से बातचीत हो रही है. संसद कानून बनाती है, कोई गलत कानून न बने लिहाजा संसद सदस्यों को उससे वाकिफ कराना हिन्दुस्तान के हरेक शहरी की जिम्मेदारी है. मौलाना रहमानी ने कहा कि बोर्ड के प्रतिनिधियों की कई पार्टियों के नेताओं से मुलाकात हो चुकी है. हमारी दलीलों पर पार्टियों का रुख सकारात्मक है.
बता दें कि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही यह साफ कर चुका है कि अगर तीन तलाक रोधी विधेयक को कानून की शक्ल दी गयी तो वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. बोर्ड की कार्यकारिणी समिति की बीते 16 दिसम्बर को लखनऊ में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था.