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सोमवती अमावस्या के दिन बन रहे 3 शुभ संयोग, जानें स्नान-दान मुहूर्त

नई दिल्ली : जिस माह में सोमवार के दिन अमावस्या ​तिथि होती है, उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस साल श्रावण मास की अमावस्या को सोमवार दिन है, इस वजह से उस दिन सोमवती अमावस्या है. सोमवती अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ 3 शुभ संयोग बने हैं. इस दिन आप सोमवती अमावस्या और सावन सोमवार दोनों का ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. सोमवती अमावस्या कब है? स्नान और दान का मुहूर्त क्या है?

पंचांग के अनुसार, इस साल सावन के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 16 जुलाई रविवार को रात 10 बजकर 08 मिनट से शुरू हो रही है, उसके बाद उसका समापन 18 जुलाई को 12 बजकर 01 एएम पर हो रहा है. उदयातिथि के आधार पर सोमवती अमावस्या 17 जुलाई सोमवार को है.

17 जुलाई को सोमवती अमावस्या के दिन आप सूर्योदय के समय से स्नान और दान कर सकते हैं. उस दिन स्नान-दान और पूजा के लिए दो सुबह मुहूर्त है. पहला शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 34 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक है. सोमवती अमावस्या का दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 01 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक है. सोमवती अमावस्या का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है.

सोमवती अमावस्या के दिन सावन सोमवार, रुद्राभिषेक और सर्वार्थ सिद्धि योग का 3 शुभ संयोग बन रहा है. 17 जुलाई को सोमवती अमावस्या के साथ सावन का दूसरा सोमवार व्रत भी है. इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 18 जुलाई को सुबह 05 बजकर 11 मिनट से सुबह 05 बजकर 35 मिनट तक है. पंचांग के अनुसार, सूर्योदय से सूर्योदय तक तिथि की मान्यता है. ऐसे में सोमवती अमावस्या की तिथि 18 जुलाई को सूर्योदय तक मान्य रहेगी.

सोमवती अमावस्या के दिन रुद्राभिषेक का भी संयोग बना है. सोमवती अमावस्या को पूरा दिन रुद्राभिषेक के लिए शुभ है क्योंकि शिववास गौरी के साथ है. यह प्रात:काल से लेकर देर रात 12:01 बजे तक है.

सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है. इस दिन शिव और गौरी की पूजा से सुख, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या को पितरों को जल से तर्पण देने से पितृ दोष शांत होता है. इस दिन आप पितरों को तृप्त करने के ​उपाय कर सकते हैं. उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और शांति आती है.

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