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30 हजार से ज्यादा गीत गा चुकी हैं लता मंगेशकर

आज अपना 88वां जन्‍म द‍िन मना जा रही स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर

गायन के क्षेत्र में लता मंगेशकर एक ऐसा नाम जो आज क‍िसी पर‍िचय का मोहताज नहीं है। भारत की स्वर सम्राज्ञी कही जाने वाली लता आज अपना 88वां जन्‍म द‍िन मना जा रही हैं। 35 से ज्‍यादा भाषाओं में गाना गाने वाली लता ने अपने करियर की शुरुआत 1942 में ‘माता एक सपूत की दुन‍िया बदल दे तू’ गाने के साथ की थी। 1948 में आई फ‍िल्‍म ‘मजबूर’ में गाया गाना ‘द‍िल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का न छोड़ा’ उनके ल‍िए बड़ा ब्रेक रहा। इस मौके पर आज हम आपको लता मंगेशकर से जुड़े कुछ रोचक क‍िस्‍से बता रहे हैं। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच से जुड़े हुये थे। 5 वर्ष की उम्र में लता ने अपने पिता के साथ नाटकों मे अभिनय करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही लता संगीत की शिक्षा अपने पिता से लेने लगी लता ने वर्ष 1942 में ‘किटी हसाल’ के लिये अपना पहला गाना गाया लेकिन उनके पिता दीनानाथ मंगेश्कर को लता का फिल्मों के लिये गाना पसंद नही आया और उन्होंने उस फिल्म से लता के गाये गीत को हटवा दिया।
वर्ष 1942 में 13वर्ष की छोटी उम्र में ही लता के सिर से पिता का साया मे उठ गया और परिवार की जिम्मेदारी लता के उपर आ गयी। भाई बहनों में ये सबसे बडी थीं। इसके बाद उनका पूरा परिवार पुणे से मुंबई आ गया। हालांकि लता को फिल्मों में अभिनय करना जरा भी पसंद नही था बावजूद इसके परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को उठाते हुये लता ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया। वर्ष 1942 मे लता को ‘पहली मंगलगौर’ में अभिनय करने का मौका मिला। वर्ष 1945 में लता की मुलाकात संगीतकार गुलाम हैदर से हुयी। गुलाम हैदर लता के गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुये। गुलाम हैदर ने फिल्म निर्माता एस मुखर्जी से यह गुजारिश की कि वह लता को अपनी फिल्म शहीद मे गाने का मौका दे। एस मुखर्जी को लता की आवाज पसंद नही आई और उन्होने लता को अपनी फिल्म मे लेने से मना कर दिया। इस बात को लेकर गुलाम हैदर काफी गुस्सा हुये और उन्होने कहा यह लड़की आगे इतना अधिक नाम करेगी कि बड़े-बड़े निर्माता -निर्देशक उसे अपनी फिल्मो मे गाने के लिये गुजारिश करेगें ।
सी रामचंद्र के संगीत निर्देशन मे लता ने प्रदीप के लिखे गीत पर एक कार्यक्रम के दौरान एक गैर फिल्मी गीत ..ए मेरे वतन के लोगो ..गाया । इस गीत को सुनकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इतने प्रभावित हुये कि उनकी आंखों में आंसू आ गये। लता के गाये इस गीत से आज भी लोगो की आंखे नम हो उठती हैं। हिन्दी सिनेमा के शो मैन कहे जाने वाले राजकपूर को सदा अपनी फिल्मो के लिये लता मंगेश्कर की आवाज की जरूरत रहा करती थी राजकपूर लता के आवाज के इस कदर प्रभावित थे कि उन्होने लता मंगेश्कर को ‘सरस्वती’ का दर्जा तक दे रखा था। साठ के दशक मे लता मंगेश्कर गायिकाओं की महारानी कही जाने लगी।आरोप है क‍ि 1962 में उनके पर‍िवार में खाना बनाने वाले कुक ने उन्‍हें जहर द‍िया। वह 3 महीने तक बेड पर रहीं और उसके बाद उनकी हालत में सुधार हुआ। 1974 में लता मंगेशकर ने लंदन के रॉयल अल्‍बर्ट हॉल में परफॉर्म क‍िया। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय हैं। इसके अलावा 1974 से 1991 के बीच दुन‍िया में सबसे ज्‍यादा गाने र‍िकॉर्ड करने के चलते उनका नाम ग‍िनीज वर्ल्‍ड र‍िकॉर्ड में भी दर्ज क‍िया गया। अब ये र‍िकॉर्ड उनकी बहन आशा भोंसले के नाम है।लता को साल 2001 में भारत रत्न से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्‍हें पद्म भूषण (1969), पद्म दादा साहब फाल्के अवॉर्ड (1989) और पद्म विभूषण (1999) जैसे सम्‍मान म‍िल चुके हैं।

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