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3,000 साल पुराने अवशेष नीतीश कुमार ने खोज निकाले

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शेखपुरा जिले के जिस गांव में एक स्तूप की खोज की थी, वहां से 1,000 ईसा पूर्व यानी करीब 3,000 साल पुराने अवशेष मिले हैं। इन अवशेषों में मिट्टी के पात्र या बर्तन हैं, जिनके बहुत पुरातात्विक महत्व हैं। 3,000 साल पुराने अवशेष नीतीश कुमार ने खोज निकाले

 के. पी. जायसवाल रिसर्च इंस्टिट्यूट के कार्यकारी निदेशक बिजॉय कुमार चौधरी ने सोमवार को कहा, ‘हमने रविवार को उस जगह का दौरा किया, जहां कई अवशेषों को देखकर हम काफी रोमांचित हुए। ये अवशेष उनके पुरातन अस्तित्व का संकेत देते हैं। पुरातत्वविदों को वहां बुद्ध, भगवान विष्णु और कुछ देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां मिली हैं।’ 

राज्य सरकार की ओर से संचालित यह संस्थान पटना संग्रहालय भवन में स्थित है, जो इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में अनुसंधान करता है।

 नवपाषाण काल की कलाकृति 
चौधरी ने बताया, ‘काले और लाल रंग में वस्तुओं के अवशेष करीब 1,000 ईसा पूर्व के दिखते हैं। हमें कुछ नक्काशीदार कलाकृति वाली लाल रंग की वस्तुएं भी मिलीं जो संभवत: नवपाषाण काल की हो सकती हैं।’ 

चीफ सेक्रटरी अंजनी कुमार सिंह से फोन पर निर्देश मिलने के बाद पुरातत्वविदों का एक दल शुरुआती खोज के लिए अरियारी खंड स्थित फारपर गांव रवाना हुआ। 

खंडित मूर्तियां मिली थीं 
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य सरकार के विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए अपनी विकास समीक्षा यात्रा के तहत शुक्रवार को गांव की यात्रा पर थे। इस दौरान चीफ सेक्रटरी भी उनके साथ थे। नीतीश की नजर जब इस स्तूप पर पड़ी, तब उन्होंने पाया यह तो कोई ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व वाला स्थान प्रतीत होता है। इसके बाद ही मुख्य सचिव ने चौधरी को फोन किया था। यह गांव राज्य की राजधानी पटना से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

 चौधरी ने बताया इससे पहले भी जब हमारा संस्थान राज्यव्यापी खोज चला रहा था तब भी गांव में कुछ खंडित मूर्तियां मिली थीं। लेकिन उस वक्त यह स्तूप हमारी नजरों से छूट गया था। शुरुआती खोज में इस स्थान का पुरातात्विक महत्व साबित हुआ है। अब हमारी योजना वहां व्यापक खोज करने की है जिससे संभवत: वहां और भी प्राचीन कलाकृतियां मिलें और लोगों की नजरों से अब तक अनजान रहे इस जगह के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश पड़े। 

नीतीश कुमार को पुरातत्व में उनकी रुचि के लिए जाना जाता है। वर्ष 2016 में नालंदा विश्वविद्यालय को यूनेस्को से विश्व ऐतिहासिक धरोहर स्थल का दर्जा मिलने के बाद नीतीश अब राजगीर की विशाल दीवार को भी इसी तरह का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। 

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