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32 विमान: सभी सबूत अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं- मनोहर पर्रिकर

नई दिल्ली : लापता हुए एएन-32 विमान को खोजने के लिए तलाश एवं बचाव अभियान आज पांचवें दिन भी जारी है। विमान में सवार 29 रक्षाकर्मियों के जीवित मिल पाने की उम्मीद धूमिल होती जा रही है और अभी तक मिले सभी सबूत किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं।

120392-511921-iaf-an-32रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा, ‘कई संसाधन लगाए गए हैं। अभी तक मिले सभी सबूत अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं। हम किसी क्षेत्र से आई आवाज या कुछ कड़ियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम वह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जिसका पता लगाया जाना आवश्यक है लेकिन कुछ सबूत गुमराह करने वाले हैं।’ उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान के हिम श्रेणी के अत्याधुनिक पोत सागर निधि को मॉरिशस से बुलाया गया है।

 

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह पहुंच जाएगा लेकिन गहरे पानी में काम करने वाले पोत को भी काम करने के लिए एक निर्दिष्ट क्षेत्र की आवश्यकता होती है।’ पर्रिकर ने कहा, ‘क्योंकि पानी के भीतर गहराई में जा सकने वाले पोत दरअसल तब तक तलाश नहीं कर सकते, जब तक आपके पास कोई निश्चित छोटा क्षेत्र नहीं हो। इसीलिए पिछली बार (डोर्नियर दुर्घटना) पनडुब्बी ने स्थल की पहचान की थी और इसके बाद हमने इसे (गहरे पानी में काम करने वाला रियालंस का पोत) भेजा था। यह पहले पहचान होने के बाद द्वितीय चरण का अभियान है।’

सागर निधि में ‘डायनैमिक पोजिशनिंग प्रणाली’ है जो उसकी स्थिति को स्थिर रखती है और समुद्र विज्ञान संबंधी अनुसंधान के लिए यह आवश्यक होता है। इसमें आरओवी- मानवयुक्त पनडुब्बियों सुनामी निगरानी प्रणाली की तैनाती के लिए बड़ा डेक क्षेत्र होता है। पर्रिकर ने एक वरिष्ठ तटरक्षक अधिकारी के दावों को भी खारिज किया जिसने कहा था कि डोर्नियर दुर्घटना के दौरान भी ‘इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर (ईएलटी)’ ने काम नहीं किया था।

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि पनडुब्बी ने अंतत: समान बीपों के साथ डोर्नियर का पता लगा लिया। शुरूआत में पानी की गहराई के कारण आवाज नहीं आई होगी लेकिन जब पनडुब्बी वहां गई तो उन्होंने स्थान की पहचान कर ली। यह नहीं पता कि यह अब काम कर रही है या नहीं लेकिन हम इसे सुन नहीं पा रहे।’’ इस बीच वायु सेना के सूत्रों ने कहा कि इस घटना के पीछे के कारण के बारे में अभी कुछ भी निश्चित रूप से कहना जल्दबाजी होगा लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि इसका कारण खराब मौसम हो सकता है।

एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, ‘मौसम खराब था लेकिन चालक ने सभी आवश्यक कदम उठाए थे।’ इस बीच पर्रिकर से जब जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि आफ्सपा हटाने की प्रक्रिया प्रायोगिक आधार पर शुरू होनी चाहिए, तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में गृह मंत्रालय को निर्णय लेना है।

पर्रिकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस मामले में गृह मंत्रालय को निर्णय लेने की आवश्यकता है। हम केवल संचालन करेंगे। इस समय हम केवल सीमा पर और आतंकवाद रोधी अभियान पर काम कर रहे हैं। हम सरकार की कानून-व्यवस्था के सामान्य क्षेत्र में काम नहीं करते।’ उन्होंने कहा कि जहां तक सेना की बात है तो उसने सुनिश्चित किया है कि सीमा सुरक्षित रहे और घुसपैठ की कोई कोशिश सफल न हो पाए। पर्रिकर ने कहा, ‘हम अपना काम ठीक प्रकार से कर रहे हैं।’

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