धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है
बाकी 70 फीसद धुआँ आस-पास रहने वालों को करता है प्रभावित
लखनऊ : ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (गेट्स) – 2 (2016-17) के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में जहां 13 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं वहीं 35 प्रतिशत से अधिक वयस्क सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं। यही नहीं धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुँआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान करने वालों के आस-पास रहते हैं। यह धुँआ (सेकंड स्मोकिंग) सेहत के लिए और भी खतरनाक होता है। यह कहना है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत का।
धूम्रपान के इसी जोखिम को कम करने के उद्देश्य से हर साल मार्च महीने के दूसरे बुधवार को ‘नो स्मोकिंग डे’ मनाया जाता है। इस बार यह दिवस नौ मार्च को मनाया जाना है। इस बार इस दिवस की थीम- ‘धूम्रपान छोड़ना तनावपूर्ण नहीं होना चाहिए’ निर्धारित की गई है। इसके तहत लोगों को धूम्रपान के नुकसान के बारे में सचेत करते हुए यह बताया जाएगा कि धूम्रपान छोड़ने से किस तरह आप करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बच सकते हैं। सेकंड स्मोकिंग का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों और गर्भवती पर पड़ता है, क्योंकि वह शुरुआत से ही धुएं के घेरे में आ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु की वजह सेकंड हैण्ड स्मोकिंग है।
डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि धूम्रपान मनुष्य के शरीर में हजारों रसायनों को छोड़ता है। इसका असर फेफेड़ों के साथ दिल व शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है। कई वर्षों से धूम्रपान करने वालों का नशा छोड़ना मुश्किल हो जाता है। हालांकि यदि सच्चे मन से ठान लिया जाए तो धूम्रपान से छुटकारा मिल सकता है। सिगरेट छोड़ने के बाद एक सप्ताह का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर हफ्ते भर धूम्रपान नहीं किया तो आप पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ सकते हैं।
धूम्रपान निषेध क्लीनिक में आएं और नशे से छुटकारा पाएं
डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि केजीएमयू का रेस्परेटरी मेडिसन विभाग धूम्रपान निषेध क्लीनिक का संचालन कर रहा है। यह क्लीनिक सोमवार से शनिवार सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक संचालित होती है। इस समयावधि पर धूम्रपान छोड़ने के इच्छुक वयस्क आकर सम्पर्क कर सकते हैं । क्लीनिक द्वारा धूम्रपान करने वालों की काउंसिलिंग कर उनको नशे से छुटकारा दिलाया जाता है।
यह नियम अपनाएं तो छोड़ सकते हैं सिगरेट
सबसे पहले खुद से वादा करना होगा कि हम सिगरेट छोड़ देंगे
ऐसी चीजों से दूर रहें जो स्मोकिंग की याद दिलाएं
जब सिगरेट या तंबाकू चबाने का मन करे तो दूसरी चीजों में मन लगाएं
सिगरेट का विकल्प ढूंढें, जैसे- कुछ ऐसी चीजें मुंह में रखें जो नुकसान न पहुंचाएं
स्मोकिंग का कारण तनाव होता है। इसलिए खुद को टेंशन फ्री रखने की कोशिश करें।