सुप्रीम कोर्ट ने मोदी-शाह के खिलाफ याचिका खारिज की
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी और अमित शाह पर आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर-1 कहा था। इस मामले में कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की, लेकिन श्वष्ट ने पीएम मोदी को क्लीन चिट् दे दी है। आयोग का मानना है कि इस मामले में किसी भी तरह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। इसे शाब्दिक उल्लंघन की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इस याचिका को कांग्रेस की सुष्मिता देव ने दाखिल किया था। अदालत का कहना है कि चुनाव आयोग ने इस मामले में फैसला कर दिया है इसलिए याचिका बेअसर होती है और खारिज कर दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आपको चुनाव आयोग के फैसले पर आपत्ति है तो नई याचिका दायर की जा सकती है। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा था कि हमारे पास जो शिकायत आई थी वह कांग्रेस के नाम से आई थी, ना कि सुष्मिता देव के नाम से। हलफनामे में कहा गया है कि पीएम मोदी और अमित शाह जो बयान दे रहे हैं वो जनप्रतिधित्व अधिनियम के तहत करप्ट प्रैक्टिस के तौर पर हैं। हलफनामे में चुनाव आयोग द्वारा दोनों के खिलाफ शिकायतों पर लिए गए फैसले को रिकार्ड पर लाया गया है। हलफनामे में कहा गया कि कई मामलों में बिना कारण बताए पीएम को क्लीन चिट दी गई। अमित शाह के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की गई। जबकि इसी तरह के भाषण देने पर मायावती, योगी आदित्यनाथ, प्रज्ञा ठाकुर, मेनका गांधी पर कार्रवाई की गई। ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। असम की सिलचर से लोकसभा सांसद और भारतीय महिला कांग्रेस की चीफ देव ने कहा कि जिस तरह निर्वाचन आयोग ने गूढ़ तरीके से आदेश दिया, वह साफ तौर पर कोर्ट द्वारा तय कानून का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पीएम के आचार संहिता उल्लंघन मामले में एक चुनाव आयुक्त ने असहमति जताई थी, लेकिन आदेश के साथ यह नहीं बताया गया। देव के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील में कहा कि मोदी और अमित आह के खिलाफ आचार संहिता की शिकायतों को खारिज करने का तर्क बेहद अजीब है। उन्होंने कहा कि आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत का निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दिशा-निर्देश तय करना चाहिए क्योंकि देरी से सभी पार्टियों को समान अवसर नहीं मिल पाएंगे। इससे पहले देव ने चुनाव आयोग में भी एक हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह का बयान भी योगी आदित्यनाथ और मायावती जैसा है। दोनों नेताओं के खिलाफ आचार संहिता का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की गई। जबकि मोदी और शाह को क्लीन चिट मिल गई। उन्होंने कहा कि पीपुल्स एक्ट 1951 का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग को मोदी शाह के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।