उत्तराखंड

उत्तराखंड के 4 जिलों ने पलायन आयोग को सौपीं रिपोर्ट

देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन की समस्या राज्य की सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक रही है जिसके समाधान के लिए पिछले 5 वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं और अब इन उपायों का सार्थक परिणाम भी दिखने लगा है और हाल ही में उत्तराखंड के चार जिलों चमोली, टिहरी, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ ने पलायन के संबंध में अपने जिलों की स्थिति से जुड़ी रिपोर्ट उत्तराखंड के पलायन आयोग को सौपीं है।

पिछले पांच वर्षों में पलायन आयोग की सिफारिशों के हिसाब से पलायन की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों से चार जिलों चमोली, टिहरी, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ में स्थिति सुधरने के संकेत मिले हैं। वहां नागरिकों की आय के साथ ही आजीविका के साधनों में वृद्धि हुई है। इन जिलों द्वारा पलायन आयोग को इस संबंध में रिपोर्ट भेजे जाने के बाद अब राज्य के अन्य जिलों को भी 15 मई से पहले रिपोर्ट भेजने के सिलसिले में आयोग की ओर से अनुस्मारक यानी रिमाइंडर भेजा जा रहा है।

पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा एसएस नेगी के अनुसार चार जिलों से रिपोर्ट मिल गई है। गौरतलब है कि आयोग ने पिछले माह के अंतिम सप्ताह में सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर यह रिपोर्ट मांगी थी कि गांवों से पलायन की रोकथाम के लिए पलायन आयोग की संस्तुतियों पर विभागों ने क्या-क्या कदम उठाए हैं और इनके क्या परिणाम रहे।

सभी अन्य जिलों से रिपोर्ट मिलने के बाद 16 मई से आयोग के सदस्य जिलों में स्थिति का आकलन करने के साथ ही अधिकारियों से विमर्श भी करेंगे। इसके लिए आयोग के सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

उत्तराखंड के पलायन आयोग ने वर्ष 2018 में पलायन की स्थिति, कारण और समाधान को लेकर अपनी पहली रिपोर्ट राज्य सरकार के समक्ष रखी थी। इसके रिपोर्ट के अनुसार 3946 गांवों से 118981 व्यक्तियों ने स्थायी व 6338 गांवों से 383626 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से पलायन किया। यही नहीं, 1702 गांव ऐसे हैं, जो पूरी तरह जनविहीन हो गए हैं। इस रिपोर्ट को देने के साथ ही पलायन आयोग ने राज्य सरकार से गांवों से पलायन को रोकने की दिशा में जरूरी कदम उठाने की अनुशंसा की थी।

Related Articles

Back to top button