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4 दिन से घर में नहीं था खाना, भूख से तड़पती बच्ची ने लगाई फांसी

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। चार दिन से भूखी बच्ची मांगकर दो रोटी लाई पर भाई-बहनों में उन दो रोटी को बांटने को लेकर लड़ाई हुई। भूख से तड़प रही बच्ची ने निराश होकर फांसी लगा ली।4 दिन से घर में नहीं था खाना, भूख से तड़पती बच्ची ने लगाई फांसी

निघासन के नई बस्ती में रहने वाली जगराना (36) के परिवार में सब अच्छा चल रहा था। परिवार को पास छोटी सी जमीन थी, जिसमें खेती करके उनका गुजारा होता था। 8 साल पहले अचानक शारदा नदी में आई बाढ़ ने परिवार का सब तबाह कर दिया। उनकी जमीन पानी में बह गई। अब परिवार के पास मेहनत-मजदूरी करके पेट करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। 
चार साल पहले उनके पिता छोटे लाल की बीमारी से मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद मां जगराना दिहाड़ी मजदूरी करके बच्चों का पेट पाल रही थी। 

दिन भर मेहनत मजदूरी + करके शाम को बच्चों के लिए खाने का इंतजाम करने वाली बच्ची की मां को बीते एक हफ्ते से कोई काम नहीं मिला था। घर में जो थोड़ा बहुत अन्न था, वह भी खत्म हो गया। चार दिन से घर में खाने को कुछ नहीं था। 

जगराना बच्चों को भूख से तड़पता नहीं देख पाई तो कुछ काम ढूंढने घर के बाहर गई। मां के जाने के बाद उनकी बेटी ज्योति (12) पड़ोसी के घर खाना मांगने गई। बच्ची को पड़ोसी ने दो रोटियां दीं तो वह खुशी-खुशी घर वापस आई। 

बच्ची ने दो रोटियां अपने तीन भाई-बहनों लक्ष्मी (19), मोहिनी (9) और मोहित (11) में बांटीं। रोटी बराबर बांटने को लेकर उन लोगों में झगड़ा शुरू हो गया। ज्योति की बड़ी बहन लक्ष्मी गुस्से में घर के बाहर निकल गई। ज्योति इस बात से बहुत दुखी हुई और उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। थोड़ी देर रोने-बिलखने के बाद उसने फांसी लगा ली। 

भूख से बच्ची के आत्महत्या करने की खबर मिलते ही जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। आनन-आनन में बच्ची के घर पर अनाज भिजवाया गया। मौके पर पहुंचे एसडीएम अखिलेश यादव ने परिवार को अपनी जेब से 5000 रुपये दिए। 

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