दस्तक टाइम्स/एजेंसी : उ सके आंसू रुक नहीं रहे. वह सफदरजंग अस्पताल में फर्श पर बैठी सिसक रही है. उसे अपनी साड़ी की भी सुध नहीं है. महिला काउंसर आती हैं और उसे उठाकर ले जाने की कोशिश करती हैं. लेकिन वह बुत बनी बैठी है. वह मां है, चार साल की उस बच्ची की जो शुक्रवार शाम हैवानियत की शिकार हुई. दिल्ली के केशव पुरम इलाके में.
बच्ची की सांसें जैसे-तैसे चल रही हैं. हर पल मौत से लड़ते हुए. उसकी आवाज भीतर ही कहीं दबी जा रही है. और अस्पताल के बाहर दिल्ली सन्न है. अस्पताल से निकल भी जाए, लेकिन उन दो हैवानों ने जोदरिंदगी की, उससे बच्ची अगले कुछ महीने उठ भी नहीं सकेगी. पुलिस ने गैंगरेप का केस दर्ज कर लिया है. तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन दोनों आरोपी अब भी फरार हैं.
तब कोई विकल्प नहीं था और अब रास्ता नहीं है
बच्ची के दादा बताते हैं कि 10 साल पहले यूपी के उरई से दिल्ली आए थे. काम की तलाश में. मैं मजदूरी करता हूं. बेटा पेंटिंग करता है और बहू घर संभालती है. तब हमें लॉरेंस रोड पर झुग्गियों में आसरा मिला. हम वहीं टिक गए. मुझे लगा था कि माहौल ठीक नहीं है. लेकिन तब दूसरा कोई विकल्प नहीं था. उसकी कीमत हम आज चुका रहे हैं.
3 दिन ही तो बीते हैं उस भयावह शाम को
बच्ची के पिता कहते हैं कि पिताजी शाम करीब 5 बजे काम से लौटे. बिटिया घर में खेल रही थी. उन्हें काम से बाहर जाना था तो बिटिया भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेलने निकल गई. जाने कब वो बच्चियां खेलते-खेलते फाटक क्रॉस कर गईं. वहां हमेशा कुछ लोग शराब पीकर ताश खेलते रहते हैं. उन बच्चियों ने हमें बताया कि दो आदमियों ने उसे टॉफी और बिस्किट दिए और उठाकर ले गया .
दो घंटे बाद खून में लथपथ मिली बच्ची
बच्ची के पिता कहते हैं, दो घंटे हो गए. हमने कहां-कहां नहीं ढूंढ़ा बेटी को. लेकिन कुछ खबर नहीं लगी. फिर एक महिला उसे खून में लथपथ लेकर पहुंची. उस महिला को वह रेलवे लाइन के पास जंगल में मिली थी. बुरी तरह जख्मी.
पूरे शरीर पर थे गहरे जख्म
बच्ची को तुरंत भगवान महावीर हॉस्पिटल से लेकर गए. डॉक्टरों ने बताया कि उसके गले, पेट और चेहरे पर गहरे जख्म थे. शरीर का एक हिस्सा इतना बुरी तरह घायल था कि उसे प्राथमिक उपचार के बाद सफदरजंग हॉस्पिटल रेफर करना जरूरी था. तब से बच्ची यहीं है. और उसकी मां भी वैसे ही फर्श पर बैठी सिसक रही है. अपनी बिटिया के लिए जिंदगी की दुआ में.
हिम्मत है कि रह-रहकर टूट जाती है
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल सफदरजंग गईं. मां से मिलीं. ट्वीट भी कर दिया कि ‘दिल्ली में हर दिन एक निर्भया हो जाती है. फंड बेकार जा रहा है. 2014 में सिर्फ 9 आरोपी दोषी साबित हुए. तभी तो दिल्ली में किसी को डर नहीं लगता.’ दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने भी एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा की जरूरत पर जोर दिया. एक कार्यक्रम हुआ. हिम्मत नाम की शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई. लेकिन उस मां की हिम्मत है कि रह-रहकर टूटती और बंधती है.