पौड़ी गढ़वाल. उत्तराखंड उत्तराखंड में गढ़वाल के जौनसर बावर इलाके में स्थित परशुराम राम मंदिर में 400 साल बाद अब महिलाएं और दलित पूजन-अर्चना कर सकेंगे.
मंदिर के प्रबंधन ने कहा है कि अब यहां सभी भक्तों को प्रवेश मिलेगा. मंदिर में पूजा के दौरान लिंगभेद और जातिभेद को जगह नहीं मिलेगी. इस मंदिर में परम्परा के नाम पर पिछले 400 साल से महिलाओं और दलितों के प्रवेश पर रोक लगी थी.
मंदिर में प्रवेश पाने के लिए सालों से संघर्ष कर रहे एक दलित कार्यकर्ता ने बताया कि अभी तो सिर्फ एक ही मंदिर में प्रवेश मिल सका है. अभी 339 मंदिर ऐसे हैं जहां दलितों और महिलाओं के प्रवेश पर अभी भी रोक है.
अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में मंदिर कमेटी के प्रमुख जवाहर सिंह चौहान का कहना है कि यह समय की मांग थी. इलाके में साक्षरता और जागरूकता बढ़ रही है. लोग बदलाव चाहते थे. इसीलिए कमेटी ने यह फैसला लिया है.
गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि धार्मिक आधार के अपवाद को छोड़कर मंदिर में किसी भी महिला श्रद्धालु को पूजा-अर्चना करने से नहीं रोका जा सकता.
अदालत का कहना था कि मंदिर सिवाय धार्मिक आधार के किसी अन्य आधार पर प्रवेश वर्जित नहीं कर सकता. जब तक उसके पास इसका संवैधानिक अधिकार नहीं है, तब तक वह ऐसी रोक नहीं लगा सकता. वकीलों ने सबरीमाला अयप्पन मंदिर की उस प्रथा को चुनौती दी है, जिसके तहत मंदिर में 10 से 50 साल तक की क्रमश: बच्चियों, महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.