राजनीतिराज्यराष्ट्रीय

देश में 25 से कम उम्र के 42 फीसदी स्नातक बेरोजगार : जयराम रमेश

नई दिल्ली (New Delhi)। कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया कि सरकार ने अर्थव्यवस्था (economy) के सभी क्षेत्र में ‘कुप्रबंधन’ किया है और चूंकि यह बेरोजगारी व मंहगाई (unemployment and inflation) जैसे मुद्दों का समाधान करने में असमर्थ है, इसलिए आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि संसद का विशेष सत्र भी संपन्न हो गया है, यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार देश का ध्यान अहम मुद्दों से ‘भटकाने’ की कोशिश कर रही है, जिनमें ‘अडाणी घोटाला, जाति आधारित गणना और खासतौर पर बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती असमानता और आर्थिक संकट’ शामिल है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मोदी सरकार आंकड़ों को कितना छिपाती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि देश की अधिकतर जनता कष्ट में है। रमेश ने दावा किया कि पिछले सप्ताह सामने आए कुछ तथ्यात्मक रिपोर्ट को भी ‘दबाया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सितंबर 2023 की नवीनतम रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के बाद उबरने के प्रयास में मोदी सरकार की ‘पूरी तरह से विफलता’ दिखाई देती है।

रमेश ने कहा कि ‘‘फरवरी 2020 में 43 प्रतिशत लोग श्रम बल में शामिल थे। करीब साढ़े तीन साल बाद यह हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत रह गई है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि 2021-22 में, 25 साल से कम उम्र के 42 प्रतिशत से अधिक स्नातक बेरोजगार थे।

रमेश ने आरोप लगाया कि ‘‘याद रखना चाहिए कि भारत में महामारी से पहले ही गत 45 साल में सबसे अधिक बेरोजगारी दर थी। मोदी सरकार ने इन आंकड़ों को जनता से छिपाने की पुरजोर कोशिश की।’’ कांग्रेस नेता ने रेखांकित किया कि आवश्यक वस्तुओं की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई है जिससे आम आदमी के घर का बजट बिगड़ गया है।

रमेश ने कहा कि टमाटर की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के बाद, अब जनवरी 2023 से अबतक अरहर दाल की कीमतें 45 प्रतिशत बढ़ गई हैं, और कुल मिलाकर दालें 13.4 प्रतिशत महंगी हो चुकी हैं। अगस्त से अबतक आटे की कीमत में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है, बेसन की कीमतें 21 फीसदी बढ़ी हैं, गुड़ की कीमत में 11.5 प्रतिशत और चीनी की कीमत में पांच प्रतिशत वृद्धि हुई है।’’

रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के साठगांठ वाले पूंजीवाद की वजह से अर्थव्यवस्था के सभी लोग कुछ कंपनियों तक सीमित हो गए हैं और लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का उनसे मुकाबला करना असंभव सा हो गया है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि ‘‘मार्सेलस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में कंपनियों के कुल मुनाफे का 80 प्रतिशत हिस्सा केवल 20 कंपनियों के पास गया था। इसके विपरीत, छोटे व्यवसाय की बाजार हिस्सेदारी भारत के इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। 2014 से पहले छोटे व्यवसायों की बिक्री कुल बिक्री की लगभग सात प्रतिशत थी जो 2023 की पहली तिमाही में घटकर चार प्रतिशत से कम हो गई।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के लिए यह गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए कि परिवारों की वित्तीस देनदारी तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय हमें विश्वास दिलाना चाहता है कि लोग मकान और घर खरीद रहे हैं, जबकि आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि गत एक साल में ‘सोना गिरवी रख कर लिया जाने वाला ऋण’ 23 प्रतिशत तक बढ़ गया और ‘पर्सनल लोन’ 29 प्रतिशत तक बढ़ा है, जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि लोग अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए कर्ज ले रहे हैं।

Related Articles

Back to top button