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46 साल बाद लोकपाल का रास्ता साफ

lpनई दिल्ली (एजेंसी)। आखिरकार  46 साल बाद  देश को लोकपाल कानून मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यसभा के बाद बुधवार को लोकसभा ने भी संशोधित लोकपाल बिल को हरी झंडी दिखाई। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही लोकपाल कानून वजूद में आ जाएगा। लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार ही लोकपाल की नियुक्ति कर पाएगी क्योंकि कानून बन जाने के बाद सरकार को अब इसकी नियमावली व ढांचा तैयार करने के लिए कुछ समय चाहिए। अक्तूबर 2009 में अन्ना हजारे ने अपने गांव में नौ दिनों का अनशन किया और महाराष्ट्र की कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार के भ्रष्‍ट मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की । मार्च 2010 में भी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ पांच दिनों का अनशन किया । अन्ना का 15वां, 16वां, 17वां और 18वां अनशन लोकपाल विधेयक की खातिर था । पांच दिनों का 15वां अनशन दिल्ली में अप्रैल 2011 में किया गया था जबकि 13 दिनों तक चला 16वां अनशन दिल्ली में अगस्त 2011 में किया गया । दिसंबर 2011 में मुंबई में अन्ना ने 17वां अनशन दो दिनों तक किया । उनका 18वां अनशन रालेगण सिद्धी में नौ दिनों तक चला।

लोकपाल बिल में प्रमुख प्रावधान

  •  केन्द्र के स्तर पर लोकपाल और राज्यों के स्तर पर लोकायुक्त।
  • 2. लोकपाल में एक अध्यक्ष होगा और अधिकतम आठ सदस्य। इनमें से 50 फीसदी सदस्य न्यायिक क्षेत्र से होंगे।
  •  लोकपाल में 50 फीसदी सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछडे वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाओं में से होंगे।
  •  अध्यक्ष और सदस्यों का चयन एक चयन समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, भारत के प्रधान न्यायाधीश या प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय का कोई सेवारत न्यायाधीश, चयन समिति के पहले चार सदस्यों की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रख्यात न्यायविद।
  • प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाया गया।
  • लोकपाल के अधिकारक्षेत्र में हर श्रेणी के लोक सेवक आएंगे।
  • विदेशी योगदान नियमन कानून (एफसीआरए) के परिप्रेक्ष्य में विदेशी स्रोत से 10 लाख रूपये सालाना से अधिक दान प्राप्त कर रही सभी इकाइयां लोकपाल के दायरे में।
  • ईमानदार लोक सेवकों को पर्याप्त संरक्षण।
  • लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों में सीबीआई सहित किसी भी जांच एजेंसी को निर्देश देने का अधिकार लोकपाल को होगा।
  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति सीबीआई निदेशक के चयन में सिफारिश करेगी।
  • सीबीआई में अभियोजन निदेशक की नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिश पर।
  • लोकपाल द्वारा संदर्भित मामलों की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों के तबादले लोकपाल की मंजूरी से ही होंगे।
  • भ्रष्ट जरियों से हासिल संपत्ति को सील करने का अधिकार, भले ही मुकदमा लंबित हो।
  • प्रारंभिक जांच, जांच और मुकदमे के लिए विधेयक में स्पष्ट समयसीमा। विधेयक विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान करता है।
  • कानून लागू होने के 365 दिन में राज्यों की विधानसभाओं को लोकायुक्त के गठन के लिए विधेयक पारित करना होगा।

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