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47 प्रतिशत पाकिस्तानियों का मानना है कि उनका देश फैलाता है आतंकवाद

नई दिल्ली : पाकिस्तान में कुछ वर्ष पहले एक सर्वे कराया गया था. ये सर्वे अमेरिका ने कराया था, इसमें 47 फीसदी पाकिस्तानियों ने माना था कि कश्मीर में आतंक कोई और नहीं बल्कि उनके देश की सरकार ही फैलाती है. हालांकि इस रिपोर्ट को दबा दिया गया था. अब ये रिपोर्ट उजागर हुई है. 2001 में संसद पर हमला होने के बाद अमेरिकी सरकार के एक विभाग ने पाकिस्तान में एक सर्वे कराया था. साल 2002 में हुए इस सर्वे में आम पाकिस्तानियों ने माना कि कश्मीर में आतंक को बढ़ाने में उनकी सरकार की लिप्तता है? सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले थे. वहां के लोगों भारत से संबंधों को सुधारने और उनसे फायदा पाने के बजाए कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने को ज्यादा तरजीह देते हैं. इस सर्वे को अमेरिका ने एक स्‍थानीय एजेंसी की सहायता से पाकिस्तान के शहरी क्षेत्र में रहने वाले 2058 नागरिकों के सैंपल पर तैयार किया था. जानकारी के अनुसार यह सर्वे मार्च-अप्रैल 2002 के बीच पाकिस्तान के 10 प्रमुख शहरों में कराया गया था. हालांकि इस सर्वे के नतीजों को सार्वजनिक नहीं किया गया. सर्वे के नजीजों पर 28 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन अमेरिका ने इसे केवल सरकार के उपयोग के लिए सुरक्षित रखा. बाद में रिपोर्ट के कुछ पन्ने जगजाहिर हुए. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी लोगों (21 फीसदी से 47 फीसदी तक) का मानना है कि पाक आतंकियों का पीछे से समर्थन करता है. ऐसा पाकिस्तान राष्ट्रहित में करता है, ताकि पाकिस्तान भारत अधिकृत कश्मीर से अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा कर पाए. साथ ही भारत से कश्मीर विवाद को सुलझा पाए. हालांकि सार्वजनिक तौर पर हमेशा आतंकियों को समर्थन देने से इंकार करते रहे पाकिस्तान में 13 दिसंबर को संसद पर हमले के बाद सितंबर 2011 में कराए गए एक सर्वे में पता चला था कि 77 फीसदी लोग मानते हैं कि पाकिस्तान सरकार आतंकियों को पीछे से सहयोग और समर्थन देती है. उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफ‌िले पर फिदायीन हमले के बाद पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम इमरान खान ने यह दावा किया था कि उनका देश दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकी घटनाओं का शिकार है. ऐसे में वे कैसे किसी आतंकी संगठन को अपने क्षेत्र में पलने दे सकते हैं. पहले भी वे कई बार यह दोहराते रहे हैं कि किसी भी हालत में वे भारत में आतंक फैलाने वालों को अपने देश में पनाह नहीं देते. हालांकि अमेरिकी सर्वे यह दावा करता है कि करीब 16 साल से जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर पाकिस्तान में रहता है और यहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है. अमेरिकी सरकार ने नवंबर 2004 में एक बार फिर से पाकिस्तान के 10 प्रमुख शहरों में एक सर्वे कराया. इसमें यह जानने की कोशिश की गई क्या आम पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के एंटी-टेरर पॉलिसी का समर्थन करते हैं अथवा नहीं. इसके नतीजे भी चौंकाने वाले थे. ज्यादातर लोगों ने मुशर्रफ के उस पॉलिसी का समर्थन किया जिनमें आतंकियों को पाकिस्तान में रहने की छूट की बात की गई थी. इस पर भी 14 पेज की एक रिपोर्ट अब भी अमेरिका के पास मौजूद है.

इसी तरह 2002 के एक सर्वे में यह खुलासा हुआ था कि अधिकतर पाकिस्तानी यह मानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगानिस्तान में चलाया जाने वाले आतंक विरोधी अभियान मुस्लिम और इस्लाम पर खतरा है, बजाए इसके कि वे आतंकी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कोई काम कर रहे है. साल 2002 के एक सर्वे में करीब 90 फीसदी पाकिस्तानी लोगों का मानना था भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते बीते छह महीने ज्यादा बिगड़े हैं. साथ ही 83 फीसदी लोगों ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से शांति प्रस्ताव के बाद भी वे भारत के बारे में अच्छे खयाल नहीं रखते. अमेरिका की ओर से ही जुलाई-अगस्त 2002 में ही एक अन्य सर्वे में यह खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान की शहरी आबादी का ज्यादातर हिस्सा कश्मीर के अलगाववादियों के प्रति सहानुभूति रखती है. वहां के 87 फीसदी लोगों को यह भी विश्वास है कि पाकिस्तानी सरकार के अध‌िकारी कश्मीर के अलगाववादियों को किसी ना किसी रूप में मदद करते हैं. अन्यथा भारतीय सरकार उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है. एक अन्य सर्वे में ऐसा भी दावा किया गया कि पाकिस्तान की पढ़ी-लिखी जनता पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा आदि को प्रतिबंधित करने के पक्ष में हैं. साथ ही इनको पाकिस्तान से मिलने वाली किसी भी तरह की सहायता को रोक देने के हिमायती है. वे ये भी मानते हैं कि सीमा पार भारत के कश्मीर में ऐसे संगठन आतंक फैलाते हैं, जिससे भारत तें आशंति का माहौल फैलता है. 13 दिसंबर के संसद पर हुए हमले को नाजायज ठहराते हुए कहते हैं ऐसे हमलों के निशाने पर हमेशा आम जनता रही है. करीब 36 फीसदी पाकिस्तानी भारत के साथ संवाद स्‍‌थापित करने के हिमायती हैं.

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