4750 बाल मजदूरों को स्कूल खुलने का इंतजार
इसके चलते इन बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। मासूम बच्चों के हाथों में जूठी प्लेटों की जगह कलम पकड़ाने के लिए राज्य का पहला चाइल्ड लेबर स्कूल अक्तूबर 2007 में उधमपुर के जखैनी इलाके में खोला गया था।
इसके बाद जून 2009 में चिनैनी, डुडु और पंचैरी ब्लाक में 10 नए चाइल्ड लेबर स्कूल खोले गए थे। वर्तमान समय में जिले के 11 चाइल्ड लेबर स्कूलों 450 से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी छोड़कर शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
इनके अलावा 500 से बच्चों को चाइल्ड लेबर स्कूल से स्थानांतरित कर दूसरे स्कूल में दाखिल करवा दिया गया है। इसी सफलता को ध्यान में रखते हुए 2012 में केंद्र सरकार ने नए स्कूल खुलवाने के लिए हामी भरी और बाल मजूदरों के पहचान के लिए 2013 में जिले की 1000 आंगनबाड़ी वर्कर्स को सर्वे का काम सौंपा गया।
आंगनबाड़ी वर्कर्स ने अपने सेंटर के दायरे में पड़ते घरों में पहुंचकर जानकारी इकट्ठा किया कि 14 वर्ष तक के कितने बच्चे पढ़ाई छोड़कर काम कर रहे हैं। बच्चे को बाल मजदूरी करने के लिए कहां पर भेजा गया है।
आंगनबाड़ी वर्कर्स ने गांववासियों को चाइल्ड लेबर स्कूलों में बच्चों को दी जा रही सुविधाओं की जानकारी देकर बच्चों को पढ़ाने के लिए भी जागरूक किया।
आंगनबाड़ी वर्कर्स ने सर्वे की फाइनल रिपोर्ट को नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट डायरेक्टर को सौंपी। इस रिपोर्ट से पता चला कि पूरे जिले में 4750 बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने इस रिपोर्ट को मार्च 2013 में केंद्र सरकार के पास भेज दिया है। पर स्कूल खोलने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है।
रिपोर्ट सौंपने के बाद सरकार की तरफ से नए स्कूल खोलने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। कई बार दिल्ली जाकर सरकार के ध्यान में यह मामला लाया भी गया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
-आरपी चौधरी, डायरेक्टर नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट