GST काउंसिल की 48वीं बैठक शुरू, हो सकते हैं ये बड़े फैसले
नई दिल्ली: जीएसटी की नीति-निर्धारक इकाई जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 48वीं बैठक शनिवार सुबह 11 बजे से वर्चुअल मोड में शुरू हो गई है. शाम 4 बजे के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की जीएसटी काउंसिल पर प्रेस कान्फ्रेंस होने की संभावना है, जिसमें बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी दे सकती हैं.
बैठक में जीएसटी कानून के तहत गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर विचार होने की संभावना है. बैठक के एजेंडे में अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना और पान मसाला और गुटखा व्यवसायों में टैक्स चोरी को रोकने की व्यवस्था बनाना भी शामिल है.
इसके अलावा ऑनलाइन गेमिंग और कसीनो पर जीएसटी को लेकर विचार-विमर्श भी किया जा सकता है. मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी थी. वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऑनलाइन ढंग से करेंगी. इस बैठक में वित्त राज्य मंत्रियों के अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं.
इस बैठक में टैक्स अधिकारियों की एक रिपोर्ट पर भी विचार किया जाएगा और कुछ गुड्स एंड सर्विस पर लागू जीएसटी दर को स्पष्ट करने की कोशिश की जाएगी. जीएसटी कानून के तहत की जाने वाली गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के संबंध में जीएसटी काउंसिल की कानून समिति ने मुकदमा शुरू करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है.
कानून समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि जीएसटी के तहत गड़बड़ियों के लिए टैक्सपेयर्स द्वारा देय शुल्क को घटाकर कर राशि के 25 फीसदी तक किया जाए. इस समय यह 150 फीसदी तक है. इसी तरह आपराधिक मामलों के तहत मुकदमा चलाने के लिए वर्तमान 5 करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है. सूत्रों ने कहा कि पान मसाला और गुटखा कंपनियों द्वारा की जाने वाली टैक्स चोरी पर तैयार जीओएम की रिपोर्ट पर इस बैठक में चर्चा होने की संभावना है.
जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल्स (GSTATs) के गठन के संबंध में जीओएम ने सुझाव दिया है कि इसमें 2 न्यायिक सदस्य, केंद्र और राज्यों के एक-एक तकनीकी सदस्य के साथ ही अध्यक्ष के रूप में सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश होने चाहिए.