5 साल बाद 21 अक्टूबर को करवा चौथ बन रहा है काल सर्प योग, जाने पूजा का शुभ समय
देशभर में त्यौहारों का सीजन है. नवरात्र और दशहरा खत्म हो जा चुका है. अब करवा चौथ और दिवाली की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बाजारों में चुड़ी और मेहंदी वालों की चांदी हो चुकी है. दरअसल करवा चौथ के लिए बाजारों भीड़ से भरे पड़े हैं. कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद अहम माना जाता है.
इस दिन विवाहित महिलाएं और जिन महिलाओं की शादी होने वाली है वह अपने पति की लम्बी आयु और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए निर्जला यानी बिना अन्न और जल का व्रत रखती हैं. आपको बात दें कि इस व्रत को कई स्थानों पर करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.
नवरात्रि का शुभ समय – इस बार करवाचौथ 27 अक्टूबर को है. इस दिन के महिलाएं अपने पति के लिए व्रत करेंगी. देश में कहीं कहीं शादी से पहले भी व्रत करने की प्रथा होती है.
कहा जाता है कुंवारी लड़की अच्छे लड़के मिलने के लिए व्रत करती हैं. इस बार महिलाओं के पास पूजा करने के लिए 27 अक्टूबर को 1 घंटे और 14 मिनट का समय है.
करवा चौथ मूर्हूत –
करवा चौथ पूजा का समय शाम 5:54 pm पर शुरू होगा.
शाम 7:09 pm पर करवा चौथ पूजा करने का समय खत्म होगा.
करवा चौथ 2017 चंद्रोदय का समय
– करवाचौथ पर महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं.
– इस दिन महिलाएं बिना चंद्रमा के पूजा संपन्न कर अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं.
– कहा जाता है कि चाँद देखे बिना व्रत अधूरा रहता है. जबतक चांद की पूजा के कोई महिला न कुछ भी खा सकती हैं और न पानी पी सकती हैं.
– चंद्रमा की पूजा के दौरान महिलाओं को एक घेरा बनाकर बैठती हैं और फिर एक महिला 7 बार फेरी लगाकर एक-दूसरे से थाली बदलती हैं.
– इस फेरी के दौरान गीत गाएं जाते हैं. महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती जाती हैं और थाली को 7 बार फेरती जाती हैं.
– इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 08:11 pm होगा.
करवा चौथ के दिन शाम को स्त्रियां चन्द्रमा को जल अर्पण करती हैं और फिर चांद और पति को छलनी से देखती हैं. इसके बाद वे अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत पूरा करती हैं.
करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करने का विधान है. चंद्रमा आने के बाद महिलाएं उसके दर्शन करती है, चंद्रमा को जल चढ़ाकर भोजन ग्रहण करती हैं.
करवा चौथ 2018: क्यों जरूरी है चांद देखना
करवा चौथ के दिन चंद्रमा का उदय शाम आठ बजकर चौदह मिनट पर होगा. इस दिन महिलाएं चंद्रमा को देखे बिना न तो कुछ खाती हैं और न ही पानी ग्रहण करती हैं.
चंद्रमा का उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को. इसके बाद पति अपनी पत्नियों को लोटे में से जल पिलाकर उनका व्रत पूरा करवाते हैं. कहते हैं कि चांद देखे बिना यह व्रत अधूरा रहता है.
करवा चौथ वाले दिन महिलाओं को विशेष तौर पर लाल कपड़े ही पहनने चाहिए क्योंकि लाल रंग हिन्दू धर्म में शुभ रंग होने का प्रतीक माना जाता है। गलती से भी करवा चौथ के दिन नीले, भूरे और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
ऐसा कपड़े पहनने से इस दिन पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। उपवास वाले दिन महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति को दूध,दही,चावल और सफेद कपड़ा नहीं देने चाहिए। करवा चौथ वाले दिन महिलाओं को अपने से बड़ी उम्र की किसी भी बुजुर्ग महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 27 अक्टूबर को है। इस दिन रविवार का दिन है। ये व्रत कार्तिक माह की व्यापिनी चतुर्थी को महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा में पुरुष रुपी ब्रह्मा की उपासना की जाती है और इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। चतुर्थी तिथि का आरंभ 27 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट को होगा और चतुर्थी तिथि की समाप्ति 28 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 16 मिनट को होगी।