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ओमेगा-3 से आपके स्वास्थ्य को होंगे 5 फायदे

अब इस बात को हर किसी ने मान लिया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड गुड कोलेस्‍ट्राल को बढाने और दिल की बीमारी को दूर रखने में बहुत मददगार होता है। यही नहीं अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो भी यह ओमेगा 3 फैटी एसिड उसे कम करने, झुरियां रोकने और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को दूर रखने में मददगार होता है। तो ऐसे में इस पोषक तत्‍व के कई सारे स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक गुण हैं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड हमारे शरीर के लिए अत्यंत जरूरी है। यह शरीर में हार्मोन्स के निर्माण के साथ शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार है। यह टय़ूना, सेलमन, हिलसा, सार्डिन जैसी मछलियां, शैवाल, झींगा जैसे सीफूड में पर्याप्त मात्रा में पाई जाता है लेकिन ये मछलियां हमें आसानी से नहीं मिल सकती।

इन मछलियों के अलावा यह अखरोट जैसे सूखे मेवों, मूंगफली, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, कनोडिया या सोयाबीन, स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्रॉबेरी, रसभरी जैसे फलों में काफी मात्रा में पाया जाता है।

गर्भधारण क्षमता को बनाता है मजबूत

शोध बताते हैं कि जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान काफी दर्द होता है, उनके खून में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का स्तर कम होता है। बांझपन और संतान का वक्त से पहले जन्म आदि महिलाओं से जुड़े अहम मुद्दे हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर खुराक गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाती है।

शोध बताते हैं कि ओमेगा-3 को संपूरक आहार के तौर पर लेने से गर्भाशय की ऐंडोमेट्रियल सेल्स लाइनिंग में क्लॉटिंग घटाने में मदद मिलती है। इससे निषेचित डिम्बों को इंप्लांट करने की दर में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त ओमेगा-3 असमय जन्म के जोखिम को 50 प्रतिशत तक कम करते हैं। इनसे गर्भावस्था की अवधि बढ़ती है और जन्म के समय वजन भी बढ़ता है, क्योंकि गर्भाशय में रक्त प्रवाह बेहतर हो जाता है। गर्भवती महिला में ओमेगा-3 का सेवन करने से भ्रूण का मानसिक विकास अच्छी तरह से होता है और यह फायदा जन्म के बाद भी जारी रहता है। इससे प्रसव के बाद होने वाले अवसाद का जोखिम भी कम होता है।

कैंसर की वृद्धि रोकता है
एएलए आधारित ओमेगा-3 फैटी एसिड्स कैंसर में ट्यूमर की वृद्धि को धीमा कर देते हैं, विशेषकर स्तन एवं आंत के कैंसर में। एएलए आधारित ओमेगा-3 कुदरती ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री एजेंट हैं, जो कोशिकाओं के परिवर्तन को रोकता है और कैंसर की आशंका को 56 प्रतिशत तक कम करता है।

मेनोपॉज को बनाए आसान
रजोनिवृत्ति के वक्त कई समस्याएं उभर आती हैं जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, दिल की बीमारी, योनि का सूखापन, त्वचा व बालों का पतला होना, जोड़ों में दर्द और सूखी आंखें। इन सभी समस्याओं से निजात पाने में ओमेगा-3 सप्लीमेंटेशन सहायक सिद्ध होते हैं। करीब 70 प्रतिशत महिलाओं को पीरियड्स के दौरान गर्म स्राव (हॉट फ्लश) से जूझना पड़ता है। इसमें भी राहत मिलती है।

ऑस्टियोपोरोसिस
महिलाओं में 40 साल के बाद हड्डियों से जुड़ी परेशानियां कैल्शियम की कमी के कारण बढ़ जाती है। एएलए आधारित ओमेगा-3 फैटी एसिड्स इसकी रोकथाम एवं इलाज तथा हडि्डयों के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं।

दिल को रखे सेहतमंद
40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हृदय रोग का खतरा अधिक रहता है। एएलए आधारित ओमेगा-3 फैटी एसिड्स हार्ट रेट को कम कर देते हैं, जिससे अचानक दिल का दौरा पड़ने का जोखिम कम होता है।

महिलाओं को आखिर ओमेगा-3 फैटी एसिड क्‍यों खाना चाहिये

मासिक दर्द

यह माना गया है कि मासिक के समय भयंकर दर्द केवल ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी से होता है, तो ऐसे में अपने आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले आहारों को शामिल कीजिये।

ब्रेस्‍ट कैंसर की रोकथाम

ओहियो स्‍टेट यूनीवर्सिटी दृारा स्‍टडी में कहा गया है कि वह मछली जिसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है, खाने से ब्रेस्‍ट कैंसर का रिस्‍क कम होता है।

पोलिसि‍स्‍टिक ओवरी इस बीमारी में समय से पीरियड्स नहीं होते तथा बच्‍चा जनने की शक्‍ति कम हो जाती है। ज्‍यादातर यह समस्‍या ट्रांस फैट की वजह से होती है। तो ऐसे में गुड कोलेस्‍ट्राल जो कि ओमेगा-3 फैटी एसिड में पाया जाता है, उसे खाने से घातक चर्बी निकल जाती है और पीरियड्स भी समय पर होने लगते हैं।

इनफर्टिलिटी ओमेगा-3 फैटी एसिड यूट्रस के अंदर की एंडोमेट्रियल परत में ब्‍लड क्‍लाट कम करता है,‍ जो कि भ्रूण को अपने आप ही मजबूती से बनने में मदद करता है।

शिशू के दिमागी विकास के लिये गुड फैट प्रेगनेंट महिलाओं के लिये अच्‍छा होता है क्‍योंकि इसका सीधा सबंध पेट में पल रहे बच्‍चे की ब्रेन सेल से जुड़ा होता है।

समय से पहले जन्‍म रोके जो गर्भवती महिलाएं प्रेनेंसी के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड की गोलियां खाती हैं उनमें 50 प्रतिशत तक का समय से पहले बच्‍चे को जन्‍म देने का खतरा टल जाता है।

दिमाग बढाए ओमेगा- 3 फैटी एसिड से दिमाग तेज बनता है। यह व्यक्ति में अवसाद, उदासी, चिंता, व्याकुलता, मानसिक थकान, तनाव, आदि मानसिक रोगों को दूर करता है

हार्मोनल मूड स्‍विंग मूड का खराब होना शायद मासिक या मेनोपॉज की वजह से हो सकता है। देानों की केसों में ओमेगा 3 फैटी एसिड सकारात्मक विचारों को पैदा करता है और डिप्रेशन को आराम से भगाता है।

रजोनिवृत्ति के बाद हार्ट अटैक से बचाव महिलाओं में रजोनिवृत्ति हो जाने के बाद उन्‍हें हार्ट अटैक का खतरा ज्‍यादा बना रहता है। ऐसा इसलिये क्‍योंकि उनका इस्‍ट्रोजेन हार्मोन का लेवल गिर जाता है, जो कि दिल को बचाने का कार्य करता है। इसलिये ओमेगा-3 फैटी एसिड इस खतरे को कम करता है।

ओमेगा 3 फैटी एसिड क्या है – Omega 3 fatty acid kya hai
“ओमेगा 3 फैटी एसिड” को छोटा करके “ओमेगा 3” कहा जाता है। यह मानव शरीर के लिए जरूरी फैटी एसिड में से एक होता है। शरीर में में यह प्राकृतिक रूप से नहीं बना पाता है, इसलिए इसको आहार में शामिल करने की जरूरत होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड पॉलीअनसैचुरेटेड वसा का रूप है, पॉलीअनसैचुरेटेड वसा शरीर के लिए जरूरी होती है। इससे शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।

ओमेगा 3 के तीन मुख प्रकार होते हैं –

एएलए (ALA/ अल्फा-लिनोलेनिक एसिड)
डीएचए (DHA/ डोकोसाहेक्साएनोइक एसिड)
ईपीए (EPA/ ईकोसापेन्टैनेनोइक एसिड)
एएलए (ALA) मुख्य रूप से पौधों में पाया जाता है, जबकि डीएचए (DHA) और ईपीए (EPA) मांसाहार से मिलता है। शरीर की कार्यप्रणाली के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की आवश्यकता होती है और यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड वसा युक्त मछली, मछली के तेल, अलसी के बीज, अलसी के तेल और अखरोट जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है।

ओमेगा-3 के फायदे:
हार्ट हेल्थ के लिये ( कोलेस्ट्रॉल कम कर हार्ट अटैक की संभावना कम करता है)
ब्लड शुगर को संतुलित करने मे
हड्डी, मांसपेशियों एवं जोड़ो का दर्द कम करने में
कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करने में
माइंड को फोकस और तेज़ रखने में
पाचन संबंधित समस्या को ठीक करने में
कैंसर के खतरे को कम करने में त्वचा का सौंदर्य बरकार रखने
ओमेगा-3 फैटी एसिड्स के स्रोत

ठंडे पानी की मछली जैसे सामन, ट्यूना आदि
सन/ पटसन/अलसी के बीज और इनका तेल
कैनोला तेल, रेपसीड/राई/सफेद सरसों
सोयाबीन व सोयाबीन का तेल
कद्दू व इसके बीजों का तेल
अखरोट व अखरोट का तेल
अंडे
ओमेगा-3 का सेवन, घटाता है समयपूर्व प्रसव का खतरा
गर्भावस्था के दौरान ओमेगा-3 वसा अम्ल का ज्यादा मात्रा में सेवन समयपूर्व प्रसव के जोखिम को घटाता है. गर्भावस्था की अवधि 38 से 42 हफ्ते की होती है. समय से जितना पहले एक बच्चे का जन्म हो जाता है, उससे उसकी मौत या खराब स्वास्थ्य का जोखिम उतना ही बढ़ जाता है.

समय से पहले पैदा हुए बच्चों में होता है ये खतरा
समय पूर्व प्रसव से पैदा हुए बच्चों में दृष्टि दोष, विकास में देरी व सीखने की दिक्कत व दूसरे कई जोखिमों का अधिक खतरा होता है. शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि रोजाना के आहार में लंबी श्रंखला वाला ओमेगा-3 लेने से समयपूर्व प्रसव (37 हफ्ते से कम का बच्चा) का जोखिम 11 फीसदी कम होता है.

गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य के प्रति ध्यान जरूरी
साउथ आस्ट्रेलियन हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएएचएमआरआई) की एसोसिएट प्रोफेसर फिलिप्पा मिड्डलेटन ने कहा, “समयपूर्व प्रसव को रोकने के लिए बहुत से विकल्प नहीं हैं, ऐसे में गर्भवती महिलाओं व स्वास्थ्य पेशेवरों, जो उनकी देखभाल करते हैं, के लिए यह नए निष्कर्ष काफी महत्वपूर्ण है.”

अवसाद से निकालने में करता है मदद
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अक्सर अवसाद से घिर जाती हैं, ऐसे में डॉक्टर उन्हें ओमेगा-3 की कैप्सूल लेने की सलाह देते हैं लेकिन मछली का सेवन करते रहने से कैप्सूल लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इसी के साथ एक स्टडी में कहा गया है कि जो पुरुष मछली के साथ अच्छा आहार जैसे फल और दूसरी हेल्दी चीजों का सेवन करते रहते हैं उनके स्पर्म हेल्दी होते हैं और सक्रिय भी.

कितना ओमेगा-3 आपको रोज लेना चाहिए?
हमे कम से कम 4 ग्राम ओमेगा-3 प्रतिदिन जरूर लेना चाहिए। ओमेगा-3 कैसे पता करेंगे किस फ़ूड में कितना है उदाहरण के लिए, 100 ग्राम असली के बीज में 22.8 ग्राम ओमेगा-3 होता है तो 20 ग्राम में लगभग 4 ग्राम ओमेगा-3 होगा। इसका मतलब आपको 20 ग्राम अलसी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। एक बार न हो तो दिन में दो तीन बार अलसी के बीज को भून के या पीस के खा सकते है रात में सोने से पहले दूध के साथ ले तो और अच्छा रहेगा। इसी प्रकार आप अन्य खाने की चीज़ों में भी ओमेगा-3 कितना है उससे निकाल सकते है।

ओमेगा-6:ओमेगा-3 के अनुपात को कैसे बैलेंस करे
शरीर मे इन्फ्लेमेशन इन्फेक्शन आदि से बचाव करता है यदि हमारी डाइट में ओमेगा-6 जरूरत से ज्यादा होगा तो शरीर मे इन्फ्लेमेशन बढ़ जाएगा जो कि शरीर की सेहत नुकसानदायक है। रिसर्च बताती है कि सामान्यतः लोगों की डाइट में ओमेगा 6 की मात्रा बहुत अधिक होती है जिसकी वजह से इन्फ्लेमेशन से संबंधित समस्या होती है

इसलिए ओमेगा 6 एवं ओमेगा 3 पर्याप्त मात्रा में एक निश्चित अनुपात में लेना चाहिए । ओमेगा-6:ओमेगा-3 का आदर्श अनुपात 4:1 होता है इसका मतलब हर 4 ओमेगा-6 पर 1 ओमेगा-3 का होना। कई एक्सपर्ट 1:1 का रेश्यो बेस्ट मानते है मतलब बराबर मात्रा में

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