नीना ने आगे कहा कि ‘यह इतना अच्छा लगा कि मैं इसी में एमए करूं। तब मेरे सामने राज खुला कि जब मैं मां के गर्भ में थी, उस समय वह संस्कृत में एमए कर रही थीं। वह उस समय डबल एमए थीं। पॉलिटिकल साइंस और संस्कृत में। संस्कृत के साथ मुझे ड्रामा का शौक था तो स्कूल ऑफ ड्रामा भी किया। मैं ड्रामा और संस्कृत को मिलाकर पढ़ना चाहती थी तो मैंने एमफिल का विषय लिया: स्टेज टेक्निक्स इन संस्कृत ड्रामा-थ्योरी एंड प्रैक्टिस। मैं आगे भी बढ़ना चाहती थी परंतु तब तक एनएसडी से पास होने पर फिल्म मिल गई, आधारशिला। वह मेरी पहली फिल्म थी। इसके के बाद मैं रंगमंच और फिल्मों में ही आगे बढ़ती गई।’