17 सालों में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज हुए 5,422 मामले, केवल 23 ठहराए गए दोषी; संसद में केंद्र
नई दिल्ली : धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) कानून देश में 17 साल पहले लागू किया गया था। तब से इस कानून के तहत 5,422 मामले दर्ज किए गए लेकिन इनमें से केवल 23 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है। केंद्र ने सोमवार को संसद में ये आंकड़े साझा किए। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि 31 मार्च, 2022 तक, ईडी ने पीएमएलए के तहत 5,422 मामले दर्ज किए।
केंद्र सरकार ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के तहत लगभग 24,893 मामले जबकि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 3,985 मामले दर्ज किये गए। सदस्य ने पिछले 10 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय के अधीन दर्ज मामलों का ब्यौरा मांगा था। चौधरी ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक जांच एजेंसी है जिसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के प्रावधानों को लागू करने का अधिकार सौंपा गया है।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2012-13 से 2021-22 के दौरान पिछले 10 वर्षों में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत लगभग 24,893 मामले जबकि धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत 3,985 मामले दर्ज किये गए। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2022 तक प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए के तहत लगभग 5,422 मामले दर्ज किए हैं। उन्होंने कहा कि मामले दर्ज होने के बाद पीएमएलए के प्रावधानों के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रूपये की सम्पत्ति कुर्क की गई, 992 मामलों में अभियोग शिकायत दर्ज की गई जिसके परिणामस्वरूप 869.31 करोड़ रूपये की जब्ती की गई और 23 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया।
चौधरी ने कहा कि फेमा के तहत 31 मार्च 2022 तक प्रवर्तन निदेशालय ने 30,716 मामले लिये हैं। उन्होंने कहा कि मामला दर्ज किये जाने के बाद इसके तहत 8,109 कारण बताओ नोटिस जारी किये गए हैं तथा 6,472 मामलों में न्याय एवं निर्णय किया गया और लगभग 8,130 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया गया। इसके साथ फेमा के तहत लगभग 7,080 करोड़ रूपये की परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं।