56 इंच का सीना है तो अयोध्या पर अध्यादेश लाकर दिखाए सरकार: ओवैसी
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई टल गई है. अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई तीन महीने बाद जनवरी, 2019 में होगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लगातार राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार को अध्यादेश लाने की चुनौती दे दी है.
फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि कोर्ट शुरू से कह रहा है ये टाइटल सूट है. अब जब चीफ जस्टिस की बेंच ने कह दिया है कि जनवरी में अगली सुनवाई होनी, तो किसी तरह का सवाल नहीं होना चाहिए.
ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गिरिराज सिंह को अटॉर्नी जनरल बना दीजिए और वो सीजेआई के सामने कहेंगे कि हिंदुओं का सब्र टूट रहा है. उन्होंने कहा कि अध्यादेश के नाम पर कब तक अयोध्या मामले पर डराएगी बीजेपी. ओवैसी ने कहा कि अगर 56 इंच का सीना है तो सरकार अध्यादेश लाकर दिखाए .
‘क़ानून लाए सरकार’
वहीं, हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम मन्दिर का केस जनवरी तक लंबित होने के कारण अब मोदी सरकार तत्काल कानून बनाना चाहिए.
‘ये अच्छा संकेत नहीं’
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, लेकिन ये अच्छा संकेत नहीं है.
‘मई में शुरू हो सकती है सुनवाई’
मामले में पक्षकार निर्मोही अखाड़े के वकील रजीत लाल ने कहा कि इस मामले में अध्यादेश काम नहीं कराएगा. ऐसी उम्मीद लगाई जा सकती है कि फाइनल सुनवाई मई से शुरू होगी. इस मसले पर राजनीति बंद हो जाए तो मुस्लिम जमीन देने के लिए तैयार हैं.
आपको बता दें कि देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या विवाद पर सुनवाई हुई. सोमवार को अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई मात्र 3 मिनट में ही टल गई.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने अब इस मामले के लिए जनवरी, 2019 की तारीख तय की है. यानी अब ये मामला करीब 3 महीने बाद ही कोर्ट में उठेगा. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि ये मामला अर्जेंट सुनवाई के तहत नहीं सुना जा सकता है.