अद्धयात्म

600 साल पुराने इस मंदिर में हनुमान जी के पैरों में दबे हैं शनिदेव

रामचरितमानस या फिर रामायण में लंका कांड में वर्णित है कि जब सीता माता की खोज करने हनुमानजी लंका गए थे, तब उन्होंने रावण द्वारा बंधक बनाए गए शनिदेव को भी मुक्त कराया था। इसके बाद शनि देव ने उन्हें वचन दिया कि जो कोई हनुमान जी की पूजा वंदना करेगा, वे उसे अपने प्रकोप या दोष से मुक्त कर देंगे।

600 साल पुराने इस मंदिर में हनुमान जी के पैरों में दबे हैं शनिदेवइस बात का जीवंत प्रमाण नर्मदा तट ग्वारीघाट स्थित हनुमानगढ़ी (Khari Ghat Hanuman Temple) में विराजमान रामभक्त हनुमान की प्रतिमा है। जो अपने पैरों के नीचे शनिदेव को दबाए हुए हैं। इतिहासकारों की बात मानें तो यह प्रतिमा करीब 600 साल पुरानी है। इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि किसी ज्योतिष से कम नहीं है, केवल यहां आने से लोगों के दोष समाप्त हो जाते हैं और उनकी कुंडली में ग्रहों का अनुकूल प्रभाव होने लगता है।

प्रतिमा में नजर आते हैं हनुमानजी के भीगे हुए बाल

यूं तो पवनपुत्र हनुमानजी के अनेक प्रतिष्ठित व प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन जबलपुर खारीघाट स्थित प्रतिमा इनमें खास पहचान रखती है। प्रतिमा छह सदी से भी अधिक पुरानी है। प्रतिमा पर कटावदार रोएं बने हुए जों पवनपुत्र के भीगे हुए बालों को दशाते हैं।

प्रतिमा में अंजनी नंदन शनि देव को पैरों के नीचे दबाए हुए हैं। प्रतिमा बिल्कुल जीवंत प्रतीत होती है। अखंड रामायण पाठ के दौरान मंदिर स्थल का वातावरण बिल्कुल बदल जाता है।

स्नान कर रोज करने आते हैं फेरा

मंदिर समिति के ओंकार दुबे के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दौरान वीर हनुमान स्वयं मंदिर स्थल पर फेरा लगाने के लिए आते हैं। खारीघाट पर पीपल के वृक्ष के नीचे आकर खड़े हो गए। प्रतिमा की जीवंतता अब भी लोगों के अविश्वास को विश्वास में बदल देती है।

नर्मदा तीर्थ ग्वारीघाट के समीप खारीघाट में हनुमानजी की प्रतिमा पर बालों के रोएं अब भी ऐसे दिखते हैं मानों वे नर्मदा में नहाकर निकले हों। मान्यता है कि प्रतिमा स्थल पर अब भी हनुमानजी फेरा लगाने आते हैं।

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