दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन वृद्धि से कीमतों में अस्थिरता आने की संभावना नहीं है और मुद्रास्फीति पर इसका मामूली असर होगा। यह बात शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 में कही गई है।
संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘चालू वित्त वर्ष में ज्यादातर समय मुद्रास्फीति स्थिर रही और आरबीआई के लक्ष्य 4-6 प्रतिशत के भीतर ही रही। लेकिन सातवें वेतन आयोग द्वारा सरकारी कर्मचारियों के वेतन व लाभ बढ़ाने की सिफारिश से मुद्रास्फीति बढ़ने की चिंता लोगों को सता रही है।’’
इसमें कहा गया है कि हालांकि लोगों को फिक्र है, ‘‘यदि सरकार इस सिफारिश को स्वीकार करती है तो क्या कीमतें अस्थिर हो जाएंगी और महंगाई बढ़ जाएगी? ज्यादा संभावना है कि ऐसा नहीं होगा।’’
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन का उदाहरण देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि उस समय में भी सिफारिशें भारी भरकम थीं, लेकिन मुद्रास्फीति पर उसका कोई बड़ा असर देखने में नहीं आया था।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि रेलवे सहित अनुमानित वेतन का बिल सातवें वेतन आयोग के तहत करीब 52 प्रतिशत बढ़ जाएगा, जबकि छठे वेतन आयोग में यह 70 प्रतिशत बढ़ा था। इससे कहा गया है कि चूंकि सरकार ‘‘राजकोषीय घाटे को कम करने को प्रतिबद्ध है इस लिए वेतन में बढोतरी होने के बावजूद कीमतों का दबाव कम होगा।’’