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7 जुलाई के बाद यूरेनियम भंडार बढ़ाने का एलान, रूहानी बोले- हमारी जरूरतें ज्यादा

वर्ष 2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत ईरान अपने देश की यूरेनियम भंडार सीमा 3.67 प्रतिशत से अधिक करने पर अड़ गया है। इससे फारस की खाड़ी में आने वाले दिनों के भीतर तनाव और अधिक बढ़ सकता है। ईरान ने कहा है कि वह समझौते के कुछ नियमों का अनुपालन करने में असमर्थ है।

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा, ‘हम 7 जुलाई के बाद जरूरत के मुताबिक यूरेनियम भंडार बढ़ाएंगे। रूहानी ने स्पष्ट किया कि यूरेनियम भंडार सीमा में बढ़ोतरी इसलिए करेगा क्योंकि उसकी मौजूदा जरूरत साल 2015 की एतिहासिक संधि के मुताबिक 3.67 प्रतिशत से कहीं ज्यादा हो चुकी है। उन्होंने कहा, यदि वैश्विक ताकतों के साथ हुई परमाणु संधि के अन्य साझेदारों ने अपना वादा पूरा नहीं किया तो 7 जुलाई के बाद अरक न्यूक्लियर रिएक्टर पुरानी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगेगा।

बता दें कि अमेरिका ने परमाणु संधि को पिछले साल तोड़ दिया और तेहरान पर कई प्रतिबंध थोप डाले। इसके बाद से ही ईरान-अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया। जबकि संधि के अन्य साझेदार जर्मनी, रूस, फ्रांस, चीन और यूरोपीय संघ अब भी समझौते से जुड़े हुए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ईरान ने तय यूरेनियम की मात्रा से अधिक उत्पादन किया है।

ईरान से फैसला बदलने की मांग
यूरोपीय संघ (ईयू), फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के कूटनीति प्रमुखों ने ईरान से यूरेनियम संवर्द्धन की मात्रा अधिक करने के फैसले के प्रति गंभीर चिंता जताई। इन देशों ने ईरान से अपने निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया है। इसके अलावा चीन पहले ही ईरान के फैसले पर खेद जता चुका है। यूरोपीय देश अब तक इस मुद्दे पर अमेरिका का विरोध कर रहे थे लेकिन अब ईरान को लेकर दुनिया में ध्रुवीरकरण तेज हो सकता है।

संधि बचाने को दबाव रणनीति
परमाणु संधि – 2015 को बचाने के लिए ईरान अन्य पक्षों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है। उसने आठ मई को एलान किया कि वह अधिक समय तक इस संधि का सम्मान नहीं कर पाएगा और तय मात्रा से अधिक यूरेनियम संवर्द्धन और भारी जल का उत्पादन करेंगे। रूहानी ने कहा, हम एटमी संधि का उतना ही पालन करेंगे जितना इससे जुड़े दूसरे पक्ष करेंगे।

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