क्या था पूरा मामला?
2010 में आरोपी अर्जुन और सन्नी उर्फ शशिकांत का गुरुग्राम के प्रॉपर्टी डीलर नरेंद्र कटारिया से किसी बात पर झगड़ा हुआ था। उस समय नरेंद्र और उसके साथियों ने दोनों की जमकर पिटाई की थी। तभी से अर्जुन और सन्नी नरेंद्र से बदला लेने की फिराक में थे। इसी बीच सन्नी किसी मामले में जेल चला गया।
बीती 30 मई को सन्नी जेल से छूटा और बाहर आते ही नरेंद्र की हत्या की साजिश रच डाली। इसके लिए उसने अपने दोस्तों की मदद ली। 23 जून की रात नरेंद्र बैडमिंटन खेलकर अपने घर लौट रहा था। जैसे ही वह अपनी गाड़ी तक पहुंचा, दोनों आरोपियों ने दो अन्य शार्प शूटर के साथ मिलकर उसपर गोलियां चला दी। नरेंद्र के शरीर पर सात गोलियां लगी। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
नरेंद्र के भाई ने दर्ज कराया था केस
डीसीपी सुमित कुमार ने हत्या के बाद नरेंद्र के भाई ने पुलिस को शक की बिनाह पर दो लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया था। लेकिन पुलिस की प्राथमिक जांच में ही इन दोनों आरोपियों का मामले से कोई लेना देना नहीं पाया गया। हालांकि इसी दौरान पता चला कि नरेंद्र की गांव के ही सुमित नामक युवक के साथ हाल ही में झगड़ा हुआ था। इसी बात को लेकर सुमित ने नरेंद्र की हत्या की योजना बनाई और गांव के ही शशिकांत उर्फ सन्नी के अलावा हत्या के मामले में जेल से जमानत पर आए ललित उर्फ मोनी और अर्जुन की मदद से 22 जून को वारदात को अंजाम दिया।
पुलिस ने शूटर अर्जुन एवं एक अन्य आरोपी शशिकांत को चंदू को गिरफ्तार कर शुक्रवार को अदालत में पेश किया। जहां से दोनों को आगे की पूछताछ के लिए चार दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। पुलिस ने अर्जून के पास से एक देशी पिस्टल एवं चार जिंदा कारतूस भी बरामद किये है।