उत्तर प्रदेश

72,825 शिक्षक भर्ती: मेरिट में सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा

teachers-recruitment-5650148139f5b_exlstप्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में चल रही 72825 शिक्षकों की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। शुरू से विवादों में रही इस भर्ती में एक ही अभ्यर्थी ने एक ही रोल नंबर के अलग-अलग अंक वाले अंकपत्र लगाकर कई जिलों में आवेदन किया है।

सचिव बेसिक शिक्षा परिषद कार्यालय की ओर से प्रशिक्षु शिक्षकों के आवेदन पत्रों की जांच में यह गड़बड़ी सामने आई है।

प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72825 शिक्षकों की भर्ती के लिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से 2011 में आवेदन मांगे गए थे। आवेदन मांगे जाने के पहले प्रदेश सरकार की ओर से पहली बार कराई गई शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अंकों में हेराफेरी के कारण विवादों में आ गई थी।

इस कारण से इस भर्ती को पूरा होने में चार वर्ष से अधिक का समय लग गया। इसके बाद भी भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। टीईटी के अंकों में हेराफेरी करके अभ्यर्थियों ने एक ही रोलनंबर से टीईटी के अलग-अलग अंकों वाले प्रमाण पत्र लगाकर फर्जी तरीके से चयनित होने की कोशिश की।

अभ्यर्थी के रोल नंबर के आधार पर एससीईआरटी की ओर से तैयार डाटा एवं जिलों की मेरिट के मिलान पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पकड़ में आई।

सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से पूरे प्रदेश में फर्जी टीईटी प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाने वाले या नौकरी पाने की कोशिश करने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

टीईटी-2011 पास करने वाले बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि सामान्य वर्ग में 70 फीसदी एवं आरक्षित वर्ग में 60 फीसदी अंक पाने के बाद भी उन्हें प्रशिक्षु शिक्षक के लिए चयनित नहीं किया गया।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया था कि इस मामले का निस्तारण करें। अब जांच में पता चला है कि बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने बिना काउंसलिंग कराए ही यह दावा कर दिया था कि काउंसलिग में शामिल होने के बाद भी उनका चयन नहीं किया गया।

 

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