अन्तर्राष्ट्रीय

चीन के खिलाफ 8 देशों ने बनाया मोर्चा, ड्रैगन बोला- हमें उकसाने की कोशिश न करें

न्यूयॉर्क (एजेंसी): हांगकांग में समेत अन्य पड़ोसी देशों के साथ एक तरफ जहां चीन लगातार मनमानी कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमण के चलते पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ा है। ऐसे में आने वाले समय में चीन की घेराबंद और बढ़ सकती है। वैश्विक स्तर पर व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों को लेकर उसके मनमाने रवैये पर अमेरिका समेत 8 देशों ने मोर्चा बनाया है, लेकिन ड्रैगन ने इस पर कहा कि वे हमें उकसाने से बाज आएं।

अमेरिका के साथ तनातनी और हांगकांग में नए सुरक्षा कानून लागू करने को लेकर बीजिंग के इस कदम के बाद शुक्रवार (5 जून) को ‘द इंटर पार्लियामेंट्री एलायंस ऑन चाइन’ नाम से एक मोर्चा बनाया गया है, ताकि उसके बढ़ते आर्थिक और कूटनीतिक दायरे को काउंटर किया जा सके। मोर्चे में शामिल देश हैं- अमेरिका, जर्मनी, यूके, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोपीय संसद के सदस्य।

यूएस रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो और डेमोक्रेट बॉब मेंहदाज, जापान के पूर्व रक्षा मंत्री जेन नकतानी, यूरोपियन पार्लियामेंट फॉरेन अफेयर्स कमेटी मेंबर मिरियम लेक्जमेन और प्रतिष्ठित यूके कंजर्वेटिव नेता इयान डूंकन स्मिथ ने इस नए लॉन्च किए गए मोर्चे की सह-अध्यक्षता की।

ट्विटर पर वीडियो संदेश में चीन के एक आलोचक रुबियो ने हांगकांग में नए सुरक्षा कानून लाने के खिलाफ अमेरिका का समर्थन करते हुए बीजिंग पर हमला बोला और कहा, “चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के शासन में चीन वैश्विक चुनौती बन गया है।”

बीजिंग लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि हांगकांग में स्थिति आंतरिक मामला है, हालांकि उसने कहा कि चीन का आर्थिक और कूटनीतिक विस्तार दुनिया के लिए खतरा नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने शुक्रवार को नियमित प्रेस ब्रीफिंग्स के दौरान कहा था, “हम कुछ राजनेताओं से यह अनुरोध करते हैं कि वे फैक्ट्स का आदर करें, अंतरराष्ट्रीय सबंधों के आधारभूत नियमों का आदर करें, कोल्ड वॉर की मानसिकता छोड़ दें, स्वार्थ के लिए राजनीतिक कदम उठाने और घरेलू मामलों में दखल देने से बाज आएं।”

नए मोर्चे की तरफ से कहा गया है कि चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत के चलते वैश्विक और नियम आधारित व्यवस्था काफी दबाव में है और जो भी देश बीजिंग के खिलाफ खड़ा हुआ है वह ज्यादातर अकेले हुए हैं और उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।

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