मृत्यु एक ब्रहमांड सत्य है, जिसे टाला नहीं जा सकता। धर्म शास्त्रों में बताए गए उन संकेतों के बारे में जो हमें मृत्यु निकट होने की अहम सूचना देते हैं-
अगर कांच में चेहरा देखने पर अपना चेहरा न दिखाई दे या किसी और की आकृति दिखे तो समझना चाहिए कि मृत्यु नजदीक है। जब व्यक्ति की परछाई दिखनी बंद हो जाए तो समझना चाहिए कि उसकी मृत्यु नजदीक है।मनुष्य को अपने शरीर से एक अलग और अजीब-सी गंध आने लगती है, जिसे उसने पहले कभी महसूस नहीं किया होता। यह गंध मृत्यु गंध के नाम से जानी जाती है। जिस व्यक्ति की मृत्यु नजदीक होती है, उसे हर समय अपने साथ किसी के होने का अहसास होता है, खासकर अपने पूर्वजों के होने का। जब किसी की मृत्यु होने वाली होती है तो उसे हर चीज दो भागों में टूटती या बिखरती हुई नजर आने लगती है। उसे लगता है कि आकाश में पिंड भी दो भागों में टूट रहे हैं, जबकि वास्तव में ऐसा कुछ हो नहीं रहा होता है। हमारी नाक दो सुरों में बंटी हुई है।
अनुलोम-विलोम करते समय आपने महसूस किया होगा कि दोनों सुरों में एक मंद चलता है और एक तेज। एक ही समय पर दोनों सुर एक बराबर नहीं चलते। यदि वह एक बराबर चलने लगें तो समझना चाहिए कि मृत्यु नजदीक है। जैसे-जैसे मृत्यु का समय नजदीक आने लगता है व्यक्ति को अपनी नाक का अग्रभाग दिखना बंद होने लगता है। क्योंकि आंखें ऊपर चढ़ने लगती हैं। यदि ऐसा हो रहा है तो मृत्यु नजदीक है। प्रकृति का अपना संगीत है, जो ब्रह्मांड का सबसे पुराना संगीत है, इसे नाद कहते हैं। जब हम अपने दोनों कानों को एक साथ बंद करते हैं तों उस समय जो गुंजार हमें सुनाई पड़ती है, अगर वह सुनाई देना बंद हो जाए तो समझना चाहिए कि मृत्यु नजदीक है।