9 महीने में आतंकी संगठनों से जुड़े 60 कश्मीरी युवक, सोशल मीडिया बना जरिया
दस्तक टाइम्स/एजेंसी नई दिल्ली: गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कम से कम 60 कश्मीरी युवक आतंकी समूहों का हिस्सा बन गए हैं और इस भर्ती के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन आतंकी समूहों में मुख्य रूप से हिज्बुल मुजाहिदीन शामिल है.
अधिकारियों ने कहा कि चलन पर रोक लगाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों से सोशल नेटवर्किंग साइटों की बारीकी से निगरानी करने के लिए कहा गया है. उन्होंने दावा किया कि आतंकी समूहों के प्रति झुकाव दिखाने वाले इस तरह के करीब 20 युवाओं को पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने काउंसलिंग देकर रोक दिया. इस साल सितंबर तक आतंकवाद से जुड़ने वाले कश्मीरी युवकों की आधिकारिक संख्या करीब 60 है.
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि बहुत सारे अभिभावकों ने पुलिस को अपने बेटों के घर से लापता होने की जानकारी तक नहीं दी. हिज्बुल मुजाहिदीन का स्थानीय चेहरा बन चुके त्राल निवासी 20 साल के बुरहान वानी के नेतृत्व में कुछ युवकों के एक समूह द्वारा पोस्ट किए जाने वाले वीडियो और तस्वीरों से युवा आतंकवाद की तरह आकर्षित हो रहे हैं.
फेसबुक कमेंट की हुई निगरानी
अधिकारियों ने बताया कि 20-30 साल की उम्र के 20 युवकों को आतंकवाद का हिस्सा बनने से रोका गया. इन युवकों के फेसबुक मैसेज और कमेंट की निगरानी की गई, क्योंकि उनकी हिज्बुल मुजाहिदीन खासकर बुरहान में रुचि विकसित हो रही थी. बुरहान को ए-श्रेणी का आतंकी करार देते हुए उसकी गिरफ्तारी कराने पर दस लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई है.
बुरहान को सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो का प्रसार कर युवकों से हिज्बुल से जुड़ने की अपील करने के लिए जाना जाता है. आतंकवादी संगठनों का हिस्सा बनने वाले ज्यादातर युवक जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हुए हैं और पुलवामा जिले के रहने वाले हैं. सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता की एक और बात यह है कि शिक्षित युवक आतंकी संगठनों का हिस्सा बन रहे हैं.
अपुष्ट खबरें हैं कि कुछ युवक श्रीनगर के मुख्य इलाके के रहने वाले हैं. सुरक्षा एजेंसियां इसकी पुष्टि करने में लगी हैं. 1990 के दशक में जब आतंकवाद अपने चरम पर था, तब श्रीनगर के मुख्य इलाके के युवक सशस्त्र प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गए थे. हालांकि इन दिनों दक्षिण कश्मीर के जंगलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है.