9 लॉ कॉलेज, छात्र 512 लेकिन पास हुआ सिर्फ एक
14 छात्र ऐसे हैं जो प्रमोट तो हो गए, लेकिन किसी न किसी विषय में बैक लगी है। प्रमोट होने वाले कुछ छात्रों का तो 4 विषयों में बैक है। ये आंकड़े पूरी कहानी बयां कर रहे हैं कि एलयू से संबद्ध निजी लॉ कॉलेजों में पढ़ाई के नाम पर किस तरह छला जा रहा है। हकीकत यह भी है कि पिछले कई सालों से इन कॉलेजों के परिणाम ऐसे ही आ रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि लखनऊ विवि और कॉलेज दोनों आंखें मूंदकर बस एडमिशन पर ध्यान दे रहे हैं। छात्रों के कॅरिअर की चिंता किसी को नहीं है। हालांकि राजधानी के बाकी 4 निजी कॉलेजों में स्थिति इनसे कुछ बेहतर है, हालांकि वे भी संतुष्टिजनक नहीं हैं।
कॉलेजों का बहाना–मूल्यांकन ही गलत हुआ
खराब रिजल्ट पर जब कॉलेजों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मूल्यांकन गलत हुआ है। यही नहीं, उन्होंने विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रणाली तक को दोषी ठहरा दिया।
पास होने के लिए 48 फीसदी अंक जरूरी
नियम के अनुसार पूरी तरह उत्तीर्ण होने के लिए 700 में से कम से कम 336 अंक लाना अनिवार्य है। इसके साथ ही हर सब्जेक्ट में कम से कम 40 फीसदी अंक भी होने चाहिए।
किसी पेपर में 40 फीसदी से अक अंक आने पर उसमें बैक पेपर होता है, लेकिन बैक पेपर की सुविधा भी तभी मिलती है जब छात्र को न्यूनतम 280 अंक मिलें हों। जिन नौ कॉलेजों का रिजल्ट आया है उसमें 507 छात्र ऐसे हैं तो न्यूनतम 280 अंक भी न ला सके।
हीरालाल यादव लॉ कॉलेज–45–03–07–00
लखनऊ लॉ कॉलेज–54–13–02–00
स्वामी विवेकानंद लॉ कॉलेज–76–09–00–01
अकबरी बेगम लॉ कॉलेज–58–25–00–00
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर लॉ कॉलेज–31–01–01–00
एक्सल लॉ कॉलेज–73–06–01–00
ज्यूरिस लॉ कॉलेज–120–27–02–00
आरडीएसजे लॉ कॉलेज–18–04–00–00
वारसी विधि महाविद्यालय–37–11–01–00
कुल–512–99–14–01
(स्रोत: लखनऊ विवि व कॉलेज)
इस पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसबी निमसे का कहना है कि रिजल्ट का एनालिसिस किया जाएगा। जहां भी गड़बड़ी होगी, सुधार करेंगे। जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी।