900 साल बाद 21 जून को लगेगा दुर्लभ सूर्यग्रहण
ज्योतिष : शास्त्रों के अनुसार 21 जून 2020 को लगने वाला सूर्य ग्रहण दुर्लभ बताया जा रहा है। जिस तरह का यह ग्रहण है वैसा 900 साल बाद घटित होगा। ग्रहण के दौरान सूर्य वलयाकार की स्थिति में केवल 30 सेकंड की अवधि तक ही रहेगा। इसके चलते सौर वैज्ञानिक इसे दुर्लभ बता रहे हैं। इस ग्रहण के समय जो खगोलीय स्थिति बन रही है, वह 900 साल बाद हो रही है। इसका अपना प्रभाव है। सूर्य ग्रहण चर्चाओं में है। इसे लेकर अलग-अलग मत हैं, विचार हैं लेकिन सभी इसे दुर्लभ और अत्यंत महत्वपूर्ण घटना बता रहे हैं। देश व दुनिया में लोगों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, बच्चों और खगोल शास्त्रियों, ज्योतिषों की निगाहें इस ग्रहण की ओर लगी हुईं हैं।
सूर्य ग्रहण में सूतक का काल मान्य होगा। इसकी अवधि 12 घंटे पहले से ही लग जाएगी। यह ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप एवं पूरे एशिया में देखा जा सकेगा। पिछले साल के आखिरी सप्ताह और इस साल के पहले सप्ताह में ग्रहण का संयोग था। पहले सूर्य ग्रहण उसके बाद चंद्र ग्रहण लगा था। अब इस बार पहले चंद्र ग्रहण लगा है और उसके बाद सूर्य ग्रहण होगा। इसके बाद आगामी 5 जुलाई को एक बार फिर से चंद्र ग्रहण लगेगा।
भारतीय मानक समय अनुसार सूर्य ग्रहण का आरंभ 21 जून की सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर होगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा। इसका सूतक 20 जून की रात 10 बजे से आरंभ हो जाएगा। ग्रहण का मध्य 12 बजकर 24 मिनट दोपहर पर होगा। इसका मोक्ष दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 25 मिनट की रहेगी। यह अधिकांश भू-मंडल पर दिखाई देगा। इसके बाद मौजूदा वर्ष के अंत में एक और सूर्य ग्रहण होगा।
ग्रहण के दौरान सूर्य की पृथ्वी से 15 करोड़ 2 लाख 35 हज़ार 882 किमी की दूरी रह जाएगी। इस दौरान चांद भी 3 लाख 91 हज़ार 482 किमी की दूरी से अपने पथ से गुजर रहा होगा। अगर चांद इस दौरान पृथ्वी के और पास होता तो यह ग्रहण एक पूर्ण सूर्यग्रहण बन जाता। इसी तरह अगर सूर्य थोड़ा और पास होता तो ग्रहण का नज़ारा बदल जाता, लेकिन अब यह ग्रहण वलयाकार होगा, यानी चांद पूरी तरह से सूर्य को नहीं ढक पाएगा। करीब 30 सेकंड के लिए ही चांद सूर्य के बड़े भाग को कवर करेगा। अंत में सूर्य का आखिरी हिस्सा एक चमकती हुई रिंग के समान नजर आएगा।