छत्तीसगढ़राज्य

3 साल में किसानों के खाते में 91 हजार करोड़ रूपए जमा हुए – बघेल

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार को कृषि महाविद्यालय में आयोजित चार दिन तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कृषि मेला एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। शासकीय,सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की 132 संस्थाएं हिस्सा ले रही हैं,कृषि तकनीक उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे भी इस मौके पर उपस्थित थे।

उपस्थित कृषक समूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश का कोई मुख्य मंत्री गोबर से बना सूटकेस लेकर बजट पेश करने नहीं किया, हमने किया.गांवों के उत्पादन केंद्र खत्म होने से अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी, बौद्धिक संपदा में पलायन हुई और इससे भारत और छत्तीसगढ़ का बहुत नुकसान हुआ.3 साल में किसानों के खाते में 91 हजार करोड़ रूपए जमा हुए हैं.बजट का एक तिहाई किसानों को मिला है. अब किसानों के खाते में पैसे बच रहे हैं, इसीलिए गौठानों को औद्योगिक पार्क में डेवलप करने जा रहे हैं.स्थानीय युवा अब उद्योग लगाएंगे और हम उन्हें लोन भी देंगे.हम गांव-गांव में आर्थिक स्वावलंबन को बढ़ावा देंगे.सी-मार्ट हर जिले में खोल रहे हैं, गांव के उत्पाद अब शहरों में बिकेंगे .

छत्तीसगढ़ प्राकृतिक रूप से बहुत कुछ दे रहा है, जमीन के नीचे भी और उपर भी .देश में केवल छत्तीसगढ़ में 3 हजार की दर से कोदो कुटकी खरीदा जा रहा है.
हमारी सरकार ने किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम दिया और ऋण माफ भी किया, हमने सभी वर्ग के किसानों का कर्जा माफ किया, हमने राजीव गांधी किसान योजना लागू की, फिर कोरोना की वजह से सरकार का राजस्व भी कम हुआ लेकिन हमने फिर भी किस्तों में पैसा दिया, हमने किसानों से जो वादा किया उससे पीछे नहीं हटे, इस माह के आखिरी तक चौथी किस्त भी आपके खाते में आ जायेगी.

दो रुपये किलो में गोबर खरीदी शुरू की, अब तो गोबर से गुलाल तक बन रहा है, पहले गोबर से घर को लीपते थे अब भी घर मे भले ही टाइल्स लगे हों लेकिन शुभ काम मे गोबर से ही लीपते हैं। हम सभी गांव के पले बढ़े हैं हम गांव वालों की तकलीफ समझते हैं, आज किसानों को पैसा की समस्या नहीं है, खातों में पैसा पहुँचता है, सुराजी ग्राम योजना के माध्यम से गांवों में स्वावलम्बन हो रहा है, हमने उत्पादन के साथ बेचने की भी व्यवस्था की है, इसके लिए हर जिले में हम सीमार्ट खोल रहे हैंकांकेर में कोदो, कुटकी मिलिंग का प्लांट खोला है, उसका भी हमने समर्थन मूल्य घोषित किया है,हम अभी भी अक्षय तृतीया पर धरती माता से पूजा कर खेती करने की अनुमति लेते हैं.हम डंके की चोट पर गौ माता की सेवा करते हैं।

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