स्वास्थ्य

पीरियड्स को लेकर इन कोडवर्ड में बात करती हैं लड़कियां

health_1464354151पीरियड्स को लेकर लोगों में खासतौर में खुद महिलाओं में कई तरह की भ्रांतिया हैं। पीरियड्स जैसे गंभीर विषयों पर आज भी महिलाएं खुलकर बात नहीं कर पाती हैं। वक्त के साथ इनमें बदलाव जरुर आना चाहिए। आज है मेन्सट्रुअल हायजीन डे। तो जानिए पीरियड्स से जुड़े कुछ फैक्ट्स..

रोजाना पूरी दुनिया में 15 से 49 साल की 80 करोड़ महिलाएं पीरियड्स में होती है। 

इसके अलावा इस बारे में चर्चा करना भी एक शर्म का विषय हो जाता है तो इस बारे में बातें भी दबी जुबान ही होती है। डब्लयू डी के मुताबिक भारत में 10 फीसदी और ईरान में 50 फीसदी लड़कियां इसे एक बीमारी की तरह देखती हैं।

लगभग सवा अरब लड़कियों को शौचालय की सुविधा ही उपलब्ध नहीं होती जिस वजस से कई लड़कियों का स्कूल तक छूट जाता है क्योंकि इस दौरान वो स्कूल नहीं जा पाती।

एक महिला अपने जीवन के 6 से 7 साल पीरियड्स में गुजार देती है।

सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि महिलाएं खुद इसका नाम लेकर बात नहीं करती। इसके लिए कई तरह के सांकेतिक नामों का प्रयोग होता है। जैसे भारत में भी इसे लड़कियां बताने के लिए कई सारे मजाकिया नामों जैसे एमसी, डाउन होना, डेट आना, बॉस कॉलिग, चम्प्स आदि जानती और बताती है। 

ऐसे समय में कई महिलाएं खुद को परिवार से अलग कर लेती है। आज भी कई देशों में महिलाओं का इस समय घर में प्रवेश वर्जित है।

आज भी महिलाएं अगर गलती से दाग लग जाएं तो इसके लिए खुद तो शर्मिदां होती ही हैं साथ ही लोग भी इसके लिए टोकने के अलावा शर्मिदा महसूस करवाते हैं।

ये उनके जीवन का एक हिस्सा है जिसके लिए आज भी उन्हें जरुरी चीजें मुहिया नहीं हो पाती जैसे शौचालय, पानी, साबुन और पेड और शर्मिदगी भी उसके साथ जुड़ जाती है, ये काफी चिंताजनक है।

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