दुनिया को बेरहम बता मां ने घोंटा बेटी का गला
खुद की बीमारी, बेटी के भविष्य और पति की परवरिश पर शैल को भरोसा नहीं था। वह टूट चुकी थी और यही वजह है कि उसने दो पेज का सुसाइट नोट लिखा और बेटे को बहाने से कहीं भेज दिया। बेटे के आने पर इस दर्दनाक घटना का पता चला। मौके पर पहुंची मड़ियांव पुलिस ने कमरे से मिला दो पन्ने का सुसाइड नोट कब्जे में ले लिया है।
बृहस्पतिवार सुबह करीब 10 बजे विनोद दुकान चले गए। शैल ने श्रेयांश को पड़ोसी के घर खेलने के लिए भेज दिया। करीब 11 बजे श्रेयांश लौटा तो घर में सन्नाटा था।
वह मां को पुकारते हुए पहली मंजिल पर स्थित कमरे में गया तो दरवाजा बंद मिला। काफी पुकारने पर भी कोई जवाब नहीं आया तो उसने पड़ोसियों को बुलाया। दरवाजे की कुंडी तोड़ने पर भीतर का नजारा देखकर सबके होश उड़ गए।
शैल पंखे से लटकी हुई थी जबकि रिद्धि बिस्तर पर पड़ी थी। उसे हिला-डुलाकर देखा गया लेकिन मौत हो चुकी थी। कमरे से पुलिस को शैल के हाथों लिखा सुसाइड नोट बरामद हुआ।
वह रिद्धि को किसी कीमत पर खुद से दूर नहीं रखती थी। परिवार के लोगों ने बताया कि शैल बहुत जिद करती थी। जरा सी बात पर नाराज हो जाती थी और हमेशा बेटी को साथ ले जाने की बात कहती थी।
बेटी को खरोंच भी आ जाए तो वह रात भर नहीं सोती थी। मां-बेटी के बीच अटूट प्यार था। बेटी एक मिनट के लिए भी उसकी आंखों से दूर होती तो वह उसे ढूंढ़ने निकल जाती।
मोहल्ले के लोगों को अब तक यकीन नहीं हो रहा कि मासूम का गला दबाते हुए शैल के हाथ भी नहीं कांपे होंगे। आस-पड़ोस की महिलाएं देर शाम तक विनोद के घर के दरवाजे पर बैठकर यही चर्चा करती रहीं।
उसकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। विनोद ने बताया कि शैल बहुत जिद्दी थी। उसने बार -बार समझाया लेकिन मानी नहीं। आज सुबह ही वह कह रही थी कि खुदकुशी कर लेगी। उसे लगा वह डरा रही है। परिवार के सभी सदस्य और मोहल्ले वाले विनोद को हिम्मत बंधाते रहे।
अक्सर पति-पत्नी में होता था झगड़ा
इंस्पेक्टर मड़ियांव संतोष सिंह ने बताया कि मां-बेटी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिये भेजा गया है। इस मामले में जांच-पड़ताल की जा रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि पति-पत्नी के बीच अक्सर झगड़ा होता था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मेरे न रहने पर ससुराल वालों को कुछ कहा जाय न मायकेवालों को। सारी गलती हमारी है कि मैं जीवन जी न सकी। मेरे न रहने पर पति और परिवार को कुछ न कहा जाए। इसमे उनका कोई दोष नहीं है।’