शराब कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा घोषित करने की मांग
एजेंसी/ नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत का रूख कर शराब कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा घोषित करने की मांग की। बैंक कर्ज फर्जीवाड़े के मसले पर माल्या के विरूद्ध होने वाले धनशोधन की जांच को लेकर ईडी ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग भी की। एजेंसी द्वारा न्यायालय से अपील की गई है कि सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत आदेश पारित कर माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया गया।
उनके विरूद्ध गिरफ्तारी वाॅरंट जारी किया जाना है। दरअसल धनशोधन रोकथाम कानून के अंतर्गत गैर जमानती वाॅरंट शामिल कर दिया गया है। उनका कहना था कि न्यायालय ईडी की अर्जी पर 13 जून को आदेश पारित कर सकता है। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार उद्योगपति विजय माल्या के विरूद्ध विभिन्न मसलों में गिरफ्तारी वाॅरंट लंबित हैं। जिनमें चेक बाउंस का मामला आ गया है।
धनशोधन के मसले में उनकी तलाश की जा रही है। एजेंसी ने इस मामले की जांच की स्थिति से न्यायालय को अवगत करवा दिया है। यही नहीं माल्या को जांच में शामिल होने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि इस मामले में मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत का रूख कर दिया गया। बीते दिनों माल्या के विरूद्ध गैर – जमानती वाॅरंट भी जारी कर दिया गया था। गौरतलब है कि आपराधिक मामले में न्यायालय किसी व्यक्ति को भगोड़ा तभी घोषित कर सकता है जब न्यायालय के पास विश्वास करने का कारण हो।
जिस किसी आरोप के विरूद्ध गिरफ्तारी वाॅरंट जारी हुआ था। वे फरार हो गए। उन्होंने अपने को छुपा रखा है। ऐसे में वाॅरंट तामील न कराया जा सके। सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत न्यायालय लिखित घोषणा प्रकाशित कर सकती है इस दौरान आरोपी को इस तरह की घोषणा के प्रकाश के 30 दिन के अंदर विशेष समय पर विशेष स्थान पर प्रस्तुत होने के लिए कहा जा सकता है। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार माल्या सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत प्रारंभ हो गई कार्रवाई का पालन नहीं करते हैं, ऐसे में एजेंसी के पास सीआरपीसी की धारा 83 के अंतर्गत जो लोग फरार हो गए हैं उनकी संपत्ति कुर्क करने का विकल्प भी शामिल है।
इतना ही नहीं ईडी, पीएमएलए के अंतर्गत माल्या की 1400 करोड़ रूपए की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी भी की गई। उद्योगपति विजय माल्या द्वारा राजनीतिक पासपोर्ट का उपयोग करते हुए 2 मार्च को भारत छोड़कर वे चले गए थे। बीते वर्ष सीबीआई की ओर से जो प्राथमिकी दर्ज की गई थी उसके आधार पर ईडी ने माल्या और अन्य आरोपियों पर धनशोधन का आरोप लगाया था। ऐसे में कई कंपनियों में धन निवेश की जांच की गई थी।