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दालों की कीमत से केंद्र परेशान

dalदालों की बेतहाशा कीमतों ने सरकार को परेशान कर दिया है। केंद्र सरकार मुल्य वृद्धि से निपटने के लिए कुछ खास योजना पर काम कर रही है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक तरफ विकास पर्व मना रही है। वहीं दूसरी तरफ दालों की बढ़ती कीमत ने परेशानी पैदा कर दी है। हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली के घर बैठक हुई, जिसमें दालों की कीमत पर लगाम लगाने के लिए मंथन किया गया। केंद्र सरकार ने 6.5 लाख टन दाल के आयात का फैसला किया है। इस सिलसिले में दो सदस्यीय टीम म्यांमार और मोजाम्बिक का दौरा करेगी। यही नहीं केंद्र सरकार मोजाम्बिक में लीज पर जमीन लेकर दाल की खेती पर भी विचार कर रही है।

खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने राज्यों को दाल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए कहा है। केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकारें ये सुनिश्चित करें कि दालों की कीमत किसी भी हालात में 120 रुपए किलो से ज्यादा न हों। इसके अलावा केंद्र ने राज्य सरकारों से जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के सचिव का कहना है कि तीन लाख ग्रीन लेंटिल, 2 लाख टन येलो पी, 1 लाख टन रेड लेंटिल और 20 हजार टन अरहर और उड़द के आयात के लिए मंजूरी दी गयी है।

टमाटर की बढ़ रही कीमतों के बारे में सरकार का कहना है कि दक्षिण के राज्यों में फसलों की बर्बादी की वजह से कीमतों पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा। कीमतों में बढ़ोतरी का ये ट्रेंड अगस्त तक चलेगा। पिछले आंकड़ों से ये साफ होता है कि साल में जून और सितंबर के अलावा अक्टूबर-नवंबर में कीमतों में इजाफा होता है।

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल टमाटर का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा हुआ था। लेकिन फसलों के बर्बाद होने के बाद कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। राज्यों से इस संबंध में कीमतों पर लगाम लगाने के निर्देश दिए गए हैं। देश के ज्यादातर हिस्सों में टमाटर 80 रुपए प्रति किलो के दर से उपभोक्ताओं को मिल रहा है।

 

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