3 बार बेच डाला ताजमहल, ठगबुद्धि से बन गया ‘नटवरलाल’
एजेंसी/ देश का एक ऐसा ठग जिसका नाम ठगी का पर्यायवाची शब्द और मुहावरा बन गया है। 70 से लेकर 90 तक के दशकों में एक के बाद एक कई ठगी की घटनाओं को अंजाम देकर नटवरलाल भारत का कुख्यात ठग बन गया। भले ही कानून की नजर में नटवर की ये ठगी अपराध हों, लेकिन वह इसे एक समाजसेवा मानता था। करोड़ों रुपए ठगने वाले नटवर का कहना था कि वह लोगों से झूठ बोलकर पैसे मांगता है और लोग उसे देते हैं, इसमें उसका क्या कसूर है।ठगबुद्धि की बदौलत नटवरलाल ने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला और एक बार राष्ट्रपति भवन को बेच दिया। यही नहीं, एक बार तो उसने भारत के संसद भवन को भी बेच डाला था।
वेश बदलने में माहिर नटवरलाल ने एक बार राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के फर्जी हस्ताक्षर कर ठगी की थी। नटवरलाल उसके 52 ज्ञान नामों में से एक था। कहा जाता है कि नटवरलाल ने धीरूभाई अम्बानी, टाटा और बिरला घटना के उद्योगपतियों के अलावा सरकारी अधिकारियों से भी ठगी की थी।नटवरलाल का दावा था कि अगर सरकार इजाजत दे तो वह ठगी के माध्यम से भारत का विदेशी कर्ज उतार सकता है। नटवर अपनी ठगबुद्धि की वजह से कई दशकों तक भारत का मोस्ट वान्टेड मैन बना रहा।
नटवरलाल का वास्तविक नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था और वह पेशे से एक वकील था। नटवर का जन्म सीवान जिले के जीरादेई गांव से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बंगरा में हुआ था।देश के मोस्ट वान्टेड अपराधी नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से अधिक मामले दर्ज थे। वह अपने जीवनकाल में 9 बार गिरफ्तार हुआ, लेकिन हर बार किसी न किसी तरह पुलिस की चंगुल से भाग निकला।84 साल की उम्र में नटवर अंतिम बार पुलिस की पकड़ से भागा था। 24 जून 1996 को उसे कानपुर जेल से एम्स अस्पताल लाया जा रहा था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस टीम को चकमा देकर वह भाग निकला। इस घटना के बाद उसे फिर कभी नहीं देखा गया।