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स्कूली छात्राओं का चौंकाता सच!, कच्ची उम्र में अबॉर्शन

l_abortion-1468401561नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइज़ेशन (एनएसएसओ) के देश में गर्भपात आंकड़े चौंकाने वाले हैं। एनएसएसओ के अनुसार शहरी इलाकों में होने वाले कुल अबॉर्शन में 14 फीसदी मामलों में लड़कियों की उम्र 20 साल से कम है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 20 साल से कम उम्र में अबॉर्शन के मामले सिर्फ 0.7 फीसदी हैं। 

एनएसएसओ के आंकड़ों से स्पष्ट है कि अबॉर्शन कराने के मामले में देश के शहरी इलाकों की लड़कियां सबसे आगे हैं। शहरी क्षेत्रों में 20 वर्ष से कम उम्र की किशोर लड़कियों में गर्भपात की प्रवृत्ति अधिक है। इस उम्र की तकरीबन 14 फीसदी लड़कियां गर्भपात करा चुकी हैं। 

प्रेग्नेंसी वेस्टेज के मामले भी इसी उम्र में ज्यादा हैं। प्रेग्नंसी वेस्टेज का मतलब है जिनमें बच्चा जिंदा पैदा नहीं होता। सर्वे में पाया गया है कि 20 साल से कम उम्र की 21 फीसदी महिलाओं में प्रेग्नेंसी वेस्टेज के मामले पाए गए। ग्रामीण इलाकों में प्रेग्नेंसी वेस्टेज के मामले 4.4 फीसदी हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में ऐसे मामले 5.9 फीसदी हैं। मुंबई हेल्थ कमेटी की रिपोर्ट में ये बड़ा खुलासा हुआ है कि मुंबई में टीन एजर्स में अबॉर्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में मुंबई में सभी उम्र की महिलाओं में अबॉर्शन की संख्या बढ़ी है। लेकिन 15 साल की लड़कियों के मामलों में तीन गुना इजाफा हुआ। मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नई दिल्ली वो शहर हैं जहां इस तरह के मामले हाल ही में सबसे ज्यादा दर्ज किए गए। स्कूली छात्राओं में सबसे ज्यादा गर्भपात की प्रतिशत बढ़ा है। 2014-15 में मुंबई की स्कूली छात्राओं में गर्भपात कराने के ग्राफ में 67 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

 
 
 

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