अखिलेश का फैसला साहसिक
दस्तक ब्यूरो
अंसारी बंधुओं से दूरी बनाकर अखिलेश ने साहसिक फैसला लिया है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उन्हें मुस्लिम वोटों की चिंता नहीं है। अखिलेश सरकार विकासवादी सोच के साथ जातिवादी सियासत भी कर रही है। यही वजह थी अंसारी बंधुओं को लेकर सपा की तरफ से मुसलमानों के बीच गलत मैसेज नहीं जाये, इसलिये अखिलेश यादव ने तुरंत अपने आवास पर रोजा इफ्तार के बहाने मुसलमानों को लुभाना शुरू कर दिया। सरकार के मंत्री अहमद हसन ने मुलायम और अखिलेश यादव को मुलसमानों का सबसे बड़ा हितैषी बताया। यह बात वह मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं की मौजूदगी में भी बार-बार बताते रहे। इससे चंद घंटे पहले अखिलेश सरकार ने मुसलमानों के लिये एक साथ कई प्रस्तावों को मंजूरी देकर अपने इरादे साफ कर दिये थे। अखिलेश कैबिनेट ने अल्पसंख्यकों के हितों के नाम पर बीपीएल अल्पसंख्यक अभिभावकों की बेटियों की शादी के लिए आर्थिक सहायता राशि दस हजार रुपये से बढ़ाकर बीस हजार रुपये कर दी। ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यकों को यह सहायता मिले, इसके लिए उनकी आय सीमा को भी बढ़ा दिया गया । मदरसा शिक्षकों को समय से सैलरी और अल्पसंख्यक छात्रों की स्कॉलरशिप और उसके लिए आय सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया गया हैं। मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से वेतन देने के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा (शिक्षकों-कर्मचारियों का वेतन भुगतान) विधेयक 2016 के प्रारूप को कैबिनेट में मंजूरी देते हुए कहा गया है कि मदरसा शिक्षकों के वेतन की पूरी रकम का भुगतान राज्य सरकार करेगी। अब तक इन्हें वेतन शासनादेश से मिलता था पर इसमें अक्सर देरी हो जाती थी। अब हर संस्था को हर महीने की 20 तारीख को बिल जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को देना होगा। बिल मंजूर होते ही वेतन खाते में आएगा। इसी तरह से दो लाख की वार्षिक आय वाले अल्पसंख्यक परिवार के कक्षा नौ और दस के छात्र भी स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे। अब तक केवल एक लाख रुपये आय वाले परिवार के छात्र ही आवेदन कर पाते थे। छात्रों को अब स्कालरशिप में 150 रुपये प्रतिमाह (अधिकतम दस महीने के लिए 1500 रुपये वार्षिक) और भत्ते के रूप में 750 रुपये एकमुश्त दिए जाते जाएंगे। यानी एक छात्र को कुल 2250 रुपये दिए जाएंगे।