दस्तक-विशेष

टीम इंडिया के मुख्य कोच बने अनिल कुंबले

राघवेन्द्र प्रताप सिंह
rp singhलबे समय से जारी टीम इंडिया के मुख्य कोच की तलाश आखिरकार फिरकी के जादूगर और पूर्व कप्तान अनिल कुंबले पर आकर खत्म हो गई। उन्हें एक साल के लिए नियुक्त किया गया है। कुंबले को वेस्टइंडीज दौरे से ही नई जिम्मेदारी संभालनी होगी। कुंबले का चयन उन 57 उम्मीदवारों में से किया गया, जिन्होंने बीसीसीआइ के विज्ञापन के बाद इस पद के लिए आवेदन किया था। बाद में इस सूची को 21 उम्मीदवारों तक सीमित कर दिया गया था। भारत की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुथैया मुरलीधरन और शेन वार्न के बाद तीसरे नंबर पर काबिज कुंबले पिछले कुछ दिनों से कोच पद के प्रबल दावेदार बन गए थे। हालांकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग का कोई अनुभव नहीं है। कुंबले आइपीएल टीमों जैसे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर और मुंबई इंडियंस के मेंटर रहे हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर के रूप में अपार अनुभव उनके पक्ष में गया। टीम इंडिया के नए मुख्य कोच अनिल कुंबले को क्रिकेट के प्रति जज्बे, जुनून, प्रतिबद्धता और जीवटता के लिए जाना जाता है। उनका स्वर्णिम इतिहास शानदार कारनामों से भरा पड़ा है। भले ही सचिन, सौरव और द्रविड़ जैसे बल्लेबाजों की चमकदार छवि के कारण उस समय कुंबले को वह सम्मान व मुकाम नहीं मिला जिसके वह हकदार थे, लेकिन धीरे-धीरे बीसीसीआइ ही नहीं विश्व क्रिकेट को भी समझ में आ गया कि इस छह फीट, तीन इंच लंबे क्रिकेटर का कद बहुत ज्यादा बड़ा है। लंबे पैरों की वजह से अपने साथियों के बीच जंबो के नाम से मशहूर कुंबले पर अब टीम इंडिया की बड़ी जिम्मेदारी है।
छह बार पांच या उससे ज्यादा विकेट
kumbaleकुंबले ने 2004 में टेस्ट क्रिकेट में एक पारी में छह बार पांच या उससे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने उस साल 74 विकेट लिए थे। कुंबले सबसे अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज होने के साथ ही विश्व के एकमात्र ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने 500 से अधिक विकेट लेने के साथ ही टेस्ट में शतक बनाया है। उन्होंने 1993 में हीरो कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ सिर्फ 12 रन देकर 6 विकेट लिए जो वनडे में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रर्दशन है। वनडे में उनका इकोनॉमी रेट महज 4.30 है।
टूटे जबड़े के साथ की गेंदबाजी :
उनकी प्रतिबद्धता की एक झलक दुनिया ने 14 साल पहले तब देखी थी, जब एंटिगा में टूटे हुए जबड़े के साथ वह गेंदबाजी करने उतरे। उन्होंने न केवल 14 ओवर लगातार गेंदबाजी की, बल्कि ब्रायन लारा को पवेलियन भी भेजा। दरअसल, इस टेस्ट में मर्व डिल्लन की गेंद कुंबले के जबड़े पर लगी थी और उसके बाद भी वह 20 मिनट तक बल्लेबाजी करते रहे। बाद में चेहरे पर पट्टी बांधकर गेंदबाजी की। वह चाहते तो पवेलियन में बैठ सकते थे, लेकिन उन्हें ये मंजूर नहीं था। मैदान से बाहर आने के कुछ ही घंटे बाद जबड़े के ऑपरेशन के लिए उन्हें बेंगलूर की उड़ान पकडऩी पड़ी, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता को देखकर विवियन रिचड्र्स ने तब कहा था, खेल के मैदान पर इससे ज्यादा बहादुरी की मिसाल मैंने नहीं देखी।
टेस्ट क्रिकेट में परफेक्ट टेन
टेस्ट क्रिकेट इतिहास में एक पारी में दस विकेट लेने यह कारनामा केवल दो गेंदबाज ही कर पाए हैं। कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ चार फरवरी, 1999 को दिल्ली टेस्ट की चौथी पारी में 26.3 ओवरों में 74 रन देकर 10 विकेट झटककर इस रिकॉर्ड की बराबरी की थी। उन्होंने 9 ओवर मेडन भी किए थे। उस दौर में पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज माने जाने वाले इंजमाम, एजाज, सलीम मलिक और योहाना भी कुंबले की गुगली के आगे नतमस्तक नजर आए थे। दिल्ली के घूमते हुए विकेट पर इन्हें कुंबले ने खूब नचाया था। इंजमाम (6) जहां बोल्ड हुए थे, वहीं एजाज (0) और यूसुफ युहाना (0) विकेट के सामने पैर अड़ा बैठे थे। केवल ओपनर सईद अनवर (69) और शाहिद आफरीदी (41) ही कुछ संघर्ष कर सके थे, लेकिन वह भी ज्यादा देर टिक नहीं पाए थे। इस प्रकार कुंबले ने सभी 10 विकेट अपने नाम कर लिए। 10वें विकेट के रूप में कुंबले ने वसीम अकरम को आउट किया था, जिन्होंने 37 रन की पारी खेली थी। उनसे पहले इंग्लैंड के जिम लेकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 26 जुलाई, 1956 को मैनचेस्टर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में 51.2 ओवरों में 53 रन देकर सभी 10 विकेट चटका दिए थे। उन्होंने 23 ओवर मेडन फेंके थे।
सहज-सुलभ व्यक्तित्व
एक आम मध्यमवर्गीय भारतीय की तरह दिखने वाले कुंबले 1990 में टीम इंडिया में शामिल हुए। अगले 18 साल तक वह भारतीय गेंदबाजी की मजबूत कड़ी रहे। आंखों पर चश्मा और मूंछों वाले कुंबले समय के साथ-साथ कांटेक्ट लेंस वाले स्मार्ट क्रिकेटर बन गए। कुछ आलोचक कहते थे कि वह स्पिनर नहीं हैं, बल्कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले मध्यम तेज गति के स्पिनर हैं, लेकिन वह लेगब्रेक के साथ साथ तेज गुगली का बेहतरीन इस्तेमाल करके सालों साल तक विकेट चटकाते रहे। करियर के आखिरी दिनों में उन्हें कप्तानी करने का मौका भी मिला। उन्हें 2005 में पद्मश्री और 1995 में अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह 2010 में कर्नाटक क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने। 2012 में आइसीसी क्रिकेट समिति के चेयरमैन बनाए गए।

कमाल के कुंबले
कुंबले इंग्लैंड के जिम लेकर के बाद अकेले ऐसे गेंदबाज हैं, जिन्होंने किसी एक टेस्ट पारी में दस विकेट लिए। उन्होंने यह कमाल फरवरी, 1999 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ किया था।
जन्म : 17 अक्टूबर 1970, बेंगलुरु (कर्नाटक)
भूमिका : लेग ब्रेक गुगली गेंदबाज
पहला टेस्ट
बनाम इंग्लैंड, मैनचेस्टर, 09 से 14 अगस्त, 1990
अंतिम टेस्ट
बनाम ऑस्ट्रेलिया, दिल्ली, 29 अक्टूबर से 02 नवंबर, 2008
पहला वनडे
बनाम श्रीलंका, शारजाह, 25 अप्रैल, 1990
अंतिम वनडे : बनाम बरमूडा, पोर्ट ऑफ स्पेन, 19 मार्च, 2007
टेस्ट
मैच : 132
विकेट : 619
सर्वश्रेष्ठ : 10/74
औसत : 29.65
05 विकेट : 35 बार
10 विकेट : 08 बार
वनडे
मैच : 271
विकेट : 337
सर्वश्रेष्ठ : 6/12
औसत : 30.89
पांच विकेट : 02 बार

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