अहमदाबाद। यदि गुजरात में आज चुनाव होते हैं तो सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी मात्र 60 से 65 सीटों पर सिमट सकती है। यह बात किसी और के नहीं बल्कि आरएसएस-भाजपा द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने निकलकर आई है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, यह सर्वे गुजरात में हुए दलित आंदोलन के बाद किया गया। ऊना में मरी हुई गाय के खाल उतारने पर दलित युवकों की पिटाई के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दो हफ्तों बाद किए गए इस सर्वे को आरएसएस के उन प्रचारकों ने पूरा किया है जिन्हें इस काम के लिए बकायदा प्रशिक्षण दिया गया। सर्वे में यह बात सामने निकलकर आई है की हिंदू वोटों का धुव्रीकरण भाजपा की तरफ हो रहा है जबकि दलित पार्टी से दूर होते जा रहे हैं।
गुजरात में आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व ने सोमवार को मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सर्वे के बारे में जानकारी देकर इस्तीफे के लिए मना लिया था। यही वजह है कि विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला ने मंगलवार को कहा कि अगर कभी भी चुनाव होते हैं तो उनकी पार्टी इसके लिए तैयार है। वाघेला खुद कांग्रेस में शामिल होने से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ आरएसएस प्रचारक भी रह चुके हैं।
सर्वेक्षण में यह बात निकलकर आई है कि 2017 में होने वाले चुनाव में दलित और पाटीदार आंदोलन के कारण भाजपा को 18 सीटों का नुकसान हो सकता है। सर्वे के अनुसार, आदिवासी भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण या जमीन आवंटन को लेकर आंदोलन छेड़ सकते हैं। इससे पहले आरएसएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भाजपा को दिसंबर 2015 के पंचायती चुनाव में कम से कम 104 सीटों का नुकसान हुआ है। इसका प्रमुख कारण पाटीदार आंदोलन था। शहरी क्षेत्रों की तुलना में भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा नुकसान हुआ था।
आरएसएस के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण यह है कि मुस्लिम भी दलितों का साथ देने के लिए एक मंच पर आ रहे हैं। आरएसएस के एक सूत्र का कहना है, ‘संघ दलितों को हिंदुओं का हिस्सा मानता है और वह यह कभी नहीं चाहेगा कि हिंदुओं का आपस में धुव्रीकरण हो। इससे पहले दलित कांग्रेस और भाजपा के प्रति समर्पित रहे हैं और अपनी कड़ी मेहनत के बाद संघ ने पिछले दो दशकों से उन्हें अपने साथ किया था।’
संघ दलितों के हिंदुओं से दूर जाने को गंभीरता से ले रहा है और इसलिए संघ पहली बार सामाजिक सद्धावना सम्मेलन करने जा रहा है। यह सम्मेलन बुधवार को ऊना में होगा जहां दलितों का विरोध शुरू हुआ था। इस सम्मेलन के बारे में बात करते हुए गुजरात में आरएसएस के मीडिया प्रभारी विजय ठक्कर ने बताया, ‘हम यह सम्मेलन सामाजिक सद्धाव के लिए कर रहे हैं और इसके लिए धार्मिक उपदेशक और संत सबसे उपयुक्त माध्यम हैं। हम यह बताना चाह रहे हैं कि दलित हिंदुओं की मुख्यधारा का हिस्सा हैं।’