नई दिल्ली: रियो ओलिंपिक में इतिहास रचने वाली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर इस साल ‘खेल रत्न’बन सकती हैं और उनके कोच बिसेश्वर नंदी द्रोणाचार्य बन सकते हैं। दीपा करमाकर ने रियो ओलिंपिक की जिमास्टिक की वॉल्ट स्पर्धा में चौथा स्थान हासिल कर एक नया इतिहास रचा है। वैसे तो इस वर्ष भारतीय टैस्ट कप्तान विराट कोहली देश के इस सबसे बड़े खेल पुरस्कार के प्रबल दावेदार है, लेकिन विशेष नियमों के मुताबिक विशेष परिस्थितियों में यह पुरस्कार एक से ज्यादा खिलाड़ी को भी दिया जा सकता है। दीपा ओलिंपिक में 52 वर्षों में उतरने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट और रियो के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र जिमनास्ट थीं। त्रिपुरा की दीपा ने 15.066 के औसत स्कोर के साथ चौथा स्थान हासिल किया और बेहद मामूली अंतर से कांस्य पदक जीतने से चूक गई। 23 वर्षीय दीपा की इस उपलब्धि ने उन्हें देश के सर्वाेच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न के लिये प्रबल दावेदार बना दिया है। खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार 29 अगस्त को‘खेल दिवस’के दिन राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रदान करते हैं।
आमतौर पर जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत में इन पुरस्कारों के लिए समिति गठित कर दी जाती है। लेकिन पांच से 21 अगस्त तक रियो ओलिंपिक होने के कारण इस बार समिति का गठन नहीं किया गया और पुरस्कारों का मामला ओलिंपिक की समाप्ति तक टाल दिया गया। रियो में 21 अगस्त को ओलिंपिक समाप्त होने के बाद ही इन पुरस्कारों को लेकर सुगबुगाहट शुरु हो जाएगी। सरकार ने ओलिंपिक को देखते हुए यह निर्णय किया था कि खेलों के बाद ही खेल रत्न के बारे में कोई फैसला किया जायेगा। सरकार के खेल रत्न के मामले में दिशानिर्देश साफ हैं कि ओलंपिक वर्ष की विशेष परिस्थितियों में एक से ज्यादा खिलाड़ी को खेल रत्न दिया जा सकता है।