नाइट शिफ्ट का खतरनाक सच महिलाएं जरूर जानें
वर्किंग हैं, तो गौर करें नाइट शिफ्ट आपके लिए बन सकती है परेशानी का सबब मां के नाइट शिफ्ट करने का बुरा असर बच्चे पर भी पड़ सकता है। इस स्टडी के मुताबिक, पांच या इससे ज्यादा सालों तक बदल-बदल कर नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में हृदयरोग से जुड़ी समस्याओं के कारण मृत्युदर बढ़ा पाया गया, जबकि 15 साल से अधिक समय तक काम करने वाली महिलाओं में फेफ ड़े के कैंसर से मृत्यु होने की दर में इजाफा देखा गया। हाल ही में एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि रात की पाली में काम करने वाली महिलाओं को दिन में काम करने वाली महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है।
नाइट शिफ्ट करने से बॉडी क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है। हॉर्मोन्स का संतुलन भी बिगड़ जाता है। हॉर्मोन्स का संतुलन बिगडऩे से मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों को खतरा होता है। प्रेग्नेंसी में यूं ही ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे होता रहता है।
ऐसे में नाइट शिफ्ट करने पर दिल से जुड़ी बीमारियों के होने की आशंका और बढ़ जाती है। रात में जागने से मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। डायबिटीज हो सकती है। कैलोरी बर्न नहीं होने की वजह से वजन बढ़ सकता है।
एक स्टडी में पाया गया है कि इस तरह की शिफ्ट करने से महिलाओं के हेल्थ पर, पुरुषों के मुकाबले ज्यादा अधिक खराब असर पड़ता है। यूनिवर्सिटी ऑफ सरी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि नाइट शिफ्ट करने से नींद में पडऩे वाली खलल, महिलाओं के मस्तिष्क को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित कर सकती है। दरअसल, स्टडी में पाया गया कि दिमाग के कार्य करने की क्षमता पर सर्केडियन (24 घंटों का जैविक चक्र) का प्रभाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर ज्यादा होता है।
यह शोध ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जो रात की शिफ्ट में काम करने वाली नर्सो, महिला सुरक्षाकर्मियों व महिला पुलिस अधिकारियों से जुड़ा है। एक शोध के मुताबिक जो महिलाएं 10 से ज्यादा सालों से नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, उनमें 15 से 18 प्रतिशत अधिक कोरोनरी हार्ट डिसीस (सीएचडी) का जोखिम होता है।