लखनऊ (दस्तक ब्यूरो) सूबे की सियासत में कभी एक दूसरे के विरोधी रहे आज अपनी दूरियां मिटा रहे हैं, हम बात कर रहे हैं अखिलेश सरकार के कददावर और असरदार मुस्लिम नेता आजम खां और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया की। राजा भइया लंबे समय से समाजवादी पार्टी के साथ रहे हैं। यूपी में सरकार बनते ही सपा ने भी राजा को कुर्सी दे दी। लेकिन कुंडा कांड के बाद उसी राजा को सपा ने कुर्सी से बेदखल कर दिया। अगर हम थोड़ा पीछे जाकर देखें तो, इस प्रकरण में आजम खां ने राजा के खिलाफ खूब सियासी फील्डिंग सजाई। राजा ने भी आजम को निशाने पर लिया। कुंडा कांड में क्लीन चिट मिलने के बाद राजा को फिर मंत्री बनाने की अटकलें शुरू तो हुईं, लेकिन फिर बात हवा हो गई। इसके पीछे भी लोगों ने आजम का पुरजोर विरोध ही कारण माना। लेकिन शनिवार को सियासी मौसम ने अचानक करवट बदली और दोनों नेता काफी देर एक साथ रहे। काबिना मंत्री आजम खां राजा भइया की कैंट स्थित कोठी पहुंचे औ लगभग घंटे भर गुफतगू की। हालांकि दोनों के बीच किन मसलों पर चर्चा हुई यह बात कोठी की दीवारों में कैद रह गई। लेकिन दोनों के बीच इस मुलाकात के खास मायने निकाले जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक मुजफफरपुर के दंगों के बाद बदले माहौल में वह राजा से समर्थन मांगने गए थे। दंगों की वजह से विरोधियों के बढ़ते हमले और कोर्ट की नोटिस के बाद अलग-थलग पड़े आजम अब साथी की तलाश में नजर आ रहे हैं। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने राजा को रामपुर में मौलाना जौहर मेडिकल कॉलेज के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने का भी न्योता दिया। इसके साथ यह भी कयास लगाए जा रहे हैंकि राजा भइया को दोबारा सपा सरकार मंत्रीमंडल में शामिल करना चाहती, उसी कड़ी में आजम को उनसे मुलाकात के लिए भेजा गया।