लड़ाकू विमानों की तैनाती से डरा चीन
बीजिंग| भारत की खिलाफत करने वाले चीन ने ब्रह्मोस मिसाइल का जवाब देने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी की है| चीन की धमकी है कि भारत को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा| माना जा रहा है कि चीन अपनी सीमा पर जल्द ही अपनी सुपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर सकता है|
इससे पहले चीन ने आगाह किया था कि भारत का उत्तरपूर्व में ब्रह्मोस मिसाइल तैनात करने जैसा कदम सीमा पर स्थिरता को ‘नकारात्मक रूप से प्रभावित’ करेगा। चीन की यह चेतावनी कुछ हफ्ते पहले भारत द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल का एक विशेष संस्कण उत्तरपूर्व में तैनात करने की बात कहने पर आई थी।
मोदी ने दी मंजूरी
इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पहाड़ों पर युद्ध के लिए विकसित ब्रह्मोस के उन्नत संस्कण से लैस एक नई रेजिमेंट की स्थापना को मंजूरी दी थी। इसकी लागत 4,300 करोड़ रुपये से अधिक होगी। नई रेजिमेंट अरुणाचल प्रदेश में तैनात की जाएगी, जिस पर चीन दावा जताता रहा है। हाल के वर्षों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध की कई घटनाएं हुई हैं।
चीन की धमकी
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के आधिकारिक प्रकाशन ‘पीएलए डेली’ में सप्ताहांत में छपी एक टिप्पणी में कहा गया, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की तैनाती चीन को जवाबी उपाय करने के लिए प्रेरित जाएगी। भारत सीमा पर सुपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर रहा है। इसने चीन के तिब्बत और युन्नान प्रांतों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। यह तैनाती निश्चित ही चीन-भारत संबंधों में प्रतिस्पर्धा और टकराव बढ़ाएगी और क्षेत्र की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
जबरदस्त है ब्रह्मोस
टिप्पणी में भारत द्वारा चीन से लगती सीमा पर अपनी क्षमताएं बढ़ाने के लिए किए गए अन्य कदमों का जिक्र भी किया गया, जिनमें यूएवी और एसयू-30 लड़ाकू विमानों की तैनाती शामिल है। साथ ही दावा किया गया, ऐसे कदम ‘प्रतिसंतुलन और टकराव’ की नीति का हिस्सा हैं। ब्रह्मोस मिसाइल ‘हमलों की आकस्मिकता और प्रभावकारिता को बढ़ा सकती है’। इससे मिसाइल लांचरों और नियंत्रण केंद्रों जैसे लक्ष्यों पर भी खतरा बढ़ेगा। यह टिप्पणी पीएलए नौसेना की इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ ने लिखी है।
भारत की बढ़ती ताकत
भारतीय सेना अब तक ब्रह्मोस के दो पूर्व संस्करणों से तीन रेजिमेंटों को लैस कर चुकी है। ये संस्करण भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किए थे। इसी कारण इस मिसाइल का नाम ब्रह्मपुत्र और माॠस्क्वा नदियों के नाम पर रखा गया। इसे भारतीय पोतों पर भी लगाया गया है। उत्तरपूर्व के लिए नई रेजीमेंट के पास लगभग 100 मिसाइलें, पांच सचल स्वायत्त लांचर और एक सचल कमांड पोस्ट होंगे।