याददाश्त को कमजोर नींद की कमी
एक आम इंसान को स्वस्थ रहने के लिए कम से कम छह से आठ घंटे तक की नींद की जरुरत होती है. यहाँ तक कि यदि आप सोचते है कि पांच घण्टे की नींद पर्याप्त होती है तो यह भी गलत है. जी हाँ, आपको बता दे कि अपनी पांच घंटे तक की कम नींद भी आपकी याददाश्त को कमजोर बना सकती है. इस मामले में हाल ही में एक शोध किया गया है. यह भी बता दे कि यह अध्ययन दिमाग के एक हिस्से हिप्पोकैम्पस में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच जुड़ाव न हो पाने पर केंद्रित है. और इसका सीधा ताल्लुक याददाश्त के साथ है.
इस शोध में यह सामने आया है कि याददाश्त को बनाए रखने के लिए भरपूर नींद बहुत ही जरुरी होती है. साथ ही यह भी माना जाता रहा है तंत्रिका कोशिकाओं को पारस्परिक सिग्नल पास करने वाली सिनैपसिस-स्ट्रक्चर के संयोजन में बदलाव होने से भी याददाश्त पर असर पड़ सकता है. सबसे पहले यह परीक्षण चूहों के दिमाग पर किया गया था. जिसके बाद डेनड्राइट्स के स्ट्रक्चर पर पड़ने वाले कम नींद के प्रभाव को जांचा गया. उन्होंने गोल्गी के सिल्वर-स्टेनिंग पद्धति का पांच घंटे की कम नींद को लेकर डेन्ड्राइट्स और चूहों के हिप्पोकैम्पस से संबंधित डेन्ड्राइट्स स्पाइन की संख्या को लेकर निरीक्षण किया.
इस निरिक्षण से यह बात सामने आई कि कम नींद से तंत्रिका कोशिकाओं से संबंधित डेन्ड्राइट्स की लंबाई और मेरुदंड के घनत्व में कमी आ गई थी. उन्होंने कम नींद के परीक्षण को इसी तरह जारी रखा लेकिन बाद में चूहों को तीन घंटे तक लगातार सोने दिया. गौरतलब है कि पहले एक शोध में यह कहा गया था कि तीन घंटे की नींद पर्याप्त होती है. इसके बाद पांच घंटे की कम नींद वाले परीक्षण के प्रभाव को दोबारा जांचा गया.
इसमें चूहों के डेन्ड्रिक स्ट्रक्चर की निगरानी चूहों के सोने के दौरान की गई तो डेन्ड्रिक स्ट्रक्चर में कोई अंतर नहीं पाया गया. लेकिन बाद वाले परिक्षण में यह बात सामने आई कि आण्विक तंत्र पर कम नींद का नकारात्मक असर पड़ता है और यह कॉफिलिन को भी निशाना बनाता है. शोध में यह बात देखने को मिली कि कम नींद सीधे तौर पर आपकी याददाश्त पर असर करती है.